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Rishabh Pant का अदम्य साहस: फ्रैक्चर पैर के बावजूद आए मैदान में, दर्द से लड़ता रहा ये योद्धा, फैंस ने बरसाया प्यार

Cricket

➤चोटिल पैर के बावजूद Rishabh Pant ने चोट सहते हुए बल्लेबाज़ी की और नाइट में 54 रनों की पारी खेली।

➤उसका यह कदम भारतीय क्रिकेट के साहस की मिसाल बन गया, टीम और दुनिया भर के प्रशंसकों ने दी जमकर सराहना।

➤पूर्व खिलाड़ियों और विशेषज्ञों ने कहा – Pant ने “अदम्य साहस” से भारतीय टीम को नई ऊर्जा दी।

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मैनचेस्टर – जब ऋषभ पंत ओल्ड ट्रैफर्ड के मैदान पर घायल पैर के साथ बल्ला लेकर उतरे, तो स्टेडियम में मौजूद हर आंख उन्हें ही देख रही थी। यह सिर्फ एक खिलाड़ी की वापसी नहीं थी, यह साहस, संघर्ष और आत्मविश्वास की जीवंत मिसाल थी। सड़क दुर्घटना के बाद लंबे पुनर्वास से गुजरने वाले पंत ने एक बार फिर दिखा दिया कि असली योद्धा वही होता है, जो दर्द को पीछे छोड़ आगे बढ़े।

उनके बाएं पैर पर पट्टी साफ नजर आ रही थी, चलने में भी कुछ असहजता थी, लेकिन चेहरा दृढ़ निश्चय से भरा हुआ था। जैसे ही पंत क्रीज की ओर बढ़े, स्टेडियम तालियों और ‘पंत-पंत’ के नारों से गूंज उठा। उनकी मौजूदगी ने माहौल को भावनात्मक बना दिया था।

पंत ने भले कोई बड़ी पारी न खेली हो, लेकिन उनकी हर गेंद का सामना एक बयान था—‘मैं हार मानने वालों में से नहीं’। उनकी हर शॉट पर दर्शकों ने प्रतिक्रिया दी, जैसे वह हर रन उनके जज़्बे को सलाम कर रहा हो। मैदान पर उनकी वापसी को फैंस ने एक विजय की तरह मनाया।

सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। एक फैन ने लिखा, “ये सिर्फ रन नहीं हैं, ये साहस के प्रतीक हैं।” किसी ने कहा, “ऋषभ पंत क्रिकेटर से बढ़कर एक भावना हैं, जो गिरने के बाद उठ खड़े होने की प्रेरणा देते हैं।”

मैच के बाद जब पंत लौटे तो दर्शक फिर खड़े हो गए। इस बार वह सिर्फ बल्लेबाज़ को नहीं, बल्कि उस इंसान को सम्मान दे रहे थे जिसने खुद को फिर से खड़ा किया।

ऋषभ पंत की यह वापसी बताती है कि खेल सिर्फ स्कोर या आंकड़ों तक सीमित नहीं होता—यह इंसानी जज़्बे की कहानी भी होता है। और पंत ने इस कहानी को अपने साहस से अमर कर दिया।