भारत में कुश्ती सिर्फ पुरुषों का खेल माना जाता था। शुरुआती दिनों में कुश्ती पुरुषों तक ही सीमित थी लेकिन ऐसा काफी समय तक नहीं चला। 2006 वर्ल्ड चैंपियनशिप में 59 किग्रा में अलका तोमर ने ब्रोंज मेडल हासिल किया।
यह महिला कुश्ती के लिए पहली बार गर्व का पल था। 39 साल में देश को पहला वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल मिला। एक महिला के जीतने पर देश में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा चर्चा नहीं हुई। कुछ समय बाद महिला कुश्ती के बारे में फोगाट सिस्टर्स ने पूरे देश का नजरिया बदल डाला।
बॉलीवुड फिल्म दंगल में दर्शाई गई गीता और बबीता की कहानी तो सभी ने देखी ही होगी, जिसमें सुपरस्टार आमिर खान ने उनके पिता महावीर सिंह फोगाट का रोल निभाया।
इस फिल्म के जरिए गीता और बबीता के संघर्ष की कहानी मशहूर हो गई। हालांकि उससे पहले भी लोग गीता और बबीता की कुश्ती की कहानी जानते थे।
गीता, बबीता, रितु, संगीता फोगाट कुल चार बहने हैं। यह चारों महावीर सिंह फोगाट की बेटियां हैं। इनमें से सबसे बड़ी गीता है।
2016 में आई फिल्म दंगल के बाद फोगाट परिवार को काफी प्रसिद्धि मिली थी। गीता परिवार के सभी बच्चों में सबसे बड़ी थी। गीता ने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लेकर 55 किग्रा भार वर्ग में भाग लेकर गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया।
साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स में गीता से पहले किसी भी भारतीय महिला के द्वारा गोल्ड मेडल नहीं जीता गया था। उनकी छोटी बहन बबीता फोगाट भी पीछे नहीं रही। बबीता ने 51 किग्रा भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता दोनों ही बहनों ने कड़ी मेहनत की और नतीजा जीत हासिल कर सामने आया
गीता बनी समर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली महिला पहलवान
गोल्ड मेडल जीतने के लगभग 2 साल बाद लंदन 2012 में 55 किग्रा वर्ग में भाग लेकर गीता समर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी।
उसके बाद गीता को राउंड ऑफ 16 में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि उसके कुछ समय बाद ही गीता फोगाट ने पहला वर्ल्ड चैंपियन मेडल 55 किग्रा वर्ग में ब्रोंज मेडल जीत कर अपने नाम किया।
साल 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में 55 किग्रा वर्ग में गीता ने गोल्ड मेडल जीता। वैसे तो गीता को अपने पूरे करियर में मानसिक के साथ-साथ शारीरिक इंजरी का सामना करना पड़ा लेकिन गीता के लिगामेंट में चोट होने के कारण उन्हें 2014 में सर्जरी करवानी पड़ी जिसकी वजह से गीता 1 साल से ज्यादा समय तक कुश्ती में एक्टिव नहीं दिखी।
आखिरकार 2018 में 53 किग्रा वर्ग में गीता फिर से एक्शन में आई और सिल्वर मेडल हासिल किया। उन्होंने 2019 में राजनीति में शामिल होने का भी निर्णय लिया लेकिन गीता पेशे से सिर्फ एक प्रोफेशनल पहलवान बनी रही।
गीता की छोटी बहनों ने भी किया भारत को रिप्रेजेंट
गीता और बबीता की दो छोटी बहने रितु और संगीता ने भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को रिप्रेजेंट किया है। फोगाट परिवार की बेटी रितु फोगाट भी पहलवान रह चुकी है। उन्होंने 2016 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल और साथ ही 2017 एशियाई चैंपियनशिप में ब्रोंज मेडल हासिल किया।
वहीं बात करें गीता की सबसे छोटी बहन संगीता फोगाट की तो वह भी एक पहलवान है। संगीता ने टोक्यो 2020 में ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर भारत को रिप्रेजेंट किया। संगीता की शादी एक प्रसिद्ध भारतीय पहलवान बजरंग पुनिया से हुई।
फोगाट परिवार को क्या बनाता है खास?
कुश्ती की दुनिया में दो और मशहूर नाम प्रियंका और विनेश फोगाट भी गीता की ही चचेरी बहनें हैं। उनके पिता की मृत्यु के बाद महावीर ने ही बचपन से एक बाप की तरह उनका पालन पोषण किया और यही चीज उनके परिवार को खास बनाता है।
दो बार के ओलंपियन विनेश फोगाट ने कुश्ती की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई । विनेश को कुश्ती की ट्रेनिंग उनके चाचा महावीर के द्वारा ही दी गई थी। 2013 वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में विनेश फोगाट ने 51 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल और 2013 एशियाई चैंपियनशिप में ब्रोंज मेडल जीता।
2016 रियो ओलंपिक के लिए विनेश ने क्वालीफाई किया लेकिन घुटने पर चोट लगने की वजह से उनका सपना अधूरा रह गया। हालांकि विनेश ने 2015 से एशियाई चैंपियनशिप में कड़ी मेहनत कर मेडल जीता। आपको बता दें कि 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई चैंपियनशिप दोनों में ही विनेश ने गोल्ड मेडल हासिल किया।
विनेश फोगाट ने पहला विश्व चैंपियनशिप मेडल 2019 में जीत हासिल कर अपने नाम किया। उन्होंने टोक्यो 2020 के लिए भी क्वालीफाई किया जिसमें उन्हें क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा।
विनेश फोगाट की छोटी बहन प्रियंका फोगाट एक ऐसी पहलवान है जिन्होंने 2016 एशियाई चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया।
फोगाट बहनों ने कुश्ती के क्षेत्र में हर एक भारतीय की सोच में बदलाव लाया है।