Indian Oil Corporation

Indian Oil काॅरपोरेशन की पाइप लाइन से तेल चोरी करने का प्रयास, चोरों ने लाइन में लगा दी फिटिंग

उत्तर प्रदेश हरियाणा

उत्तर प्रदेश के मथुरा-सलाया इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की लाइन से सांपला के इस्माइला गांव में तेल चोरी का प्रयास किया गया। तेल की पाइप लाइन में दो इंच की एक फिटिंग सैट कर दी गई, जिससे भविष्य में तेल चोरी किया जाता। हालांकि इससे बड़ा हादसा हो सकता था और न सिर्फ आग का धमाका होता, बल्कि तेल की आपूर्ति भी बांधित हो सकती थी। हालांकि समय रहते इसका पता चलने पर मरम्मत कराई गई और सांपला थाने में केस दर्ज कर जांच शुरू की गई।

प्रचालन प्रबंधक (मैन लाइन) प्रदीप सिंह ने बताया कि 10 नवंबर की रात को अलार्म चैनल संख्या 273.400 किमी पर पाइप लाइन का आया। जिसमें छेड़छाड़ की संभावना जताई गई थी। इसी का संज्ञान लेते हुए उनके सुपरवाइजर अशोक पेशवाल निरीक्षण करते हुए मौके पर पहुंचे तो एक युवक ट्रैक्टर के साथ उसमें छेड़छाड़ कर रहा था। सुपरवाइजर को देखकर आरोपी मौके से भाग खड़ा हुआ।

कई जगह पर छेद करने का प्रयास किया गया

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रात में लाइन में कुछ गड़बड़ी हुई है इसकी जानकारी नहीं हो पाई। सुबह जब मौके पर जेसीबी लेकर उसकी मरम्मत के लिए पहुंचे तो देखा कि असामाजिक तत्वों पाइप लाइन में दो इंच चौड़े पाइप से फिटिंग लगा दी थी। जिसे मिट्टी में दबा दिया गया था। जिससे भविष्य में पाइप लगाकर तेल चोरी किया जा सकता था। हालांकि उनके आने पर ही तेल चोरी का प्रयास रुका था।

पाइप लाइन का निरीक्षण किया गया तो पता चला कि आरोपियों ने 5-6 फिट लोहे की रोड के साथ कई जगह पर लाइन को नुकसान पहुंचकर छेद करने का प्रयास किया था। फिटिंग भी पाइप लाइन की जांच करने पर ही पता चला था। इसके बाद पाइप लाइन की मरम्मत की गई और सांपला थाने में केस दर्ज कराया गया। थाना प्रभारी की ओर से विभिन्न धाराओं में केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।

बड़ा हादसा होने से टला

इंडियन ऑयल के प्रचालन प्रबंधक प्रदीप सिंह ने बताया कि पाइपलाइन में तेल का अत्यधिक प्रेशर होने के कारण चोरी के प्रयास में बड़ा हादसा हो सकता था। यदि समय रहते पता नहीं चलता, तो हरियाणा के एक बड़े हिस्से में तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती थी।

विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज

पेट्रोलियम एवं खनिज पाइपलाइन अधिनियम 1962 की धारा 15 और 16, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 की धारा 3 एवं 4, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3 एवं 4, आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 7 और 5, भारतीय दंड संहिता की धारा 3(5), 61, 62, 287, 303(2), 317(2), 324(4), 325(5) और 324(6) के तहत केस दर्ज किया गया है।

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