महाकुंभ के पावन समापन के बावजूद वाराणसी में पर्यटन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिवरात्रि के बाद भी आस्था, संस्कृति और रंगोत्सव का ऐसा संगम बनारस में देखने को मिल रहा है कि 12 मार्च तक के लिए सभी होटल, गेस्ट हाउस, क्रूज और नावों की बुकिंग फुल हो चुकी है।
काशी, प्रयागराज और अयोध्या के धार्मिक पर्यटन त्रिकोण ने बनारस को एक नई पहचान दी है, जिससे देशभर के पर्यटक यहां खिंचे चले आ रहे हैं। खासकर महानगरों के कारोबारी, कॉरपोरेट ग्रुप और महिला पर्यटकों के समूह गंगा किनारे बसे होटलों में ठहरने को प्राथमिकता दे रहे हैं। घाट किनारे के होटलों में मुंहमांगी कीमत के बावजूद कमरे उपलब्ध नहीं हैं।
पांच दिवसीय रंगोत्सव में पर्यटकों की धूम
महाकुंभ के 45 दिनों में प्रतिदिन औसतन 7 लाख लोग काशी पहुंचे, जिससे करीब 3 करोड़ श्रद्धालु और पर्यटक यहां आए। धार्मिक पर्यटन का यह सिलसिला अभी भी जारी है और अब होली से पहले पांच दिन तक रंगोत्सव का खास दौर चलेगा।
रंगभरी एकादशी के अवसर पर बाबा विश्वनाथ की गौना बरात निकलेगी, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। इसके बाद बनारस की मशहूर ‘मसाने की होली’ होगी, जिसे देखने के लिए देशभर से पर्यटक जुटेंगे।
होटल और क्रूज की भारी डिमांड, टूर ऑपरेटर भी हुए व्यस्त
बनारस में इस अप्रत्याशित पर्यटन बूम को देखते हुए होटल, गेस्ट हाउस और लॉज मालिकों की चांदी हो गई है।
- 1,000 से अधिक होटल, लॉज और गेस्ट हाउस फुल
- 2,000 से अधिक नावें और बजड़े पहले से ही बुक
- पर्यटकों की भारी मांग को पूरा करने के लिए अन्य जिलों से छोटे वाहन मंगाए जा रहे हैं
बनारस के कारोबारी और व्यापारी भी हो रहे मालामाल
गेस्ट हाउस और होटलों के अलावा रेस्टोरेंट, फूल-माला विक्रेता, प्रसाद दुकानदार, रिक्शा-टेंपो चालक, नाविक, पंडित-पुरोहित, गाइड और हस्तशिल्प विक्रेता भी इस पर्यटन बूम से जबरदस्त कमाई कर रहे हैं। महाकुंभ के समय विदेशी पर्यटकों ने काशी से दूरी बनाए रखी थी, लेकिन अब वे भी बनारस लौट रहे हैं, जिससे व्यापार और टूरिज्म सेक्टर में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है।
रंगों के साथ उत्सवों का महाकुंभ जारी
महाकुंभ के बाद भी वाराणसी का पर्यटन लगातार उफान पर है। आस्था, संस्कृति और उत्सवों की त्रिवेणी में डुबकी लगाने के लिए हर वर्ग के पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं।