Noida अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए निकले नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसानों को दिल्ली की दहलीज में पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया। महामाया फ्लाईओवर के रास्ते दिल्ली जा रहे किसानों नोएडा पुलिस ने दलित प्रेरणा स्थल से आगे नहीं बढ़ने दिया। गुस्साए किसान बीच सड़क पर ही धरना देकर बैठ गए। वहीं, दिल्ली-नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर भारी पुलिस बल को तैनात किया गया है। पुलिस और किसान नेताओं के बीच बातचीत का सिलसिला जारी है।
दो घंटे चली वार्ता में नहीं निकला नतीजा
अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से किसान एकता परिषद के नेतृत्व में आंदोलन कर रहे नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसानों ने 2 दिसंबर को दिल्ली कूच की रणनीति बनाई थी। कूच करने का फैसला लेने से पहले किसानों के साथ अधिकारियों की बैठक भी हुई थी। लेकिन दो घंटे चली इस बैठक में भी कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया था। दोपहर करीब 12 बजे महामाया फ्लाईओवर से दिल्ली की तरफ किसानों के हुजूम को रोकने के लिए दिल्ली बॉर्डर से करीब दो किलोमीटर पहले ही दलित प्रेरणा स्थल के सामने बैरकेड लगाकर रास्ते बंद कर दिए गए।
स्कूलों में बच्चों की क्लासें ऑनलाइन की
किसानों के दिल्ली कूच की घोषणा पहले ही कर दी गई थी। ऐसे में पुलिस-प्रशासन पूरी तरह अलर्ट नजर आया। किसानों के दिल्ली कूच को देखते हुए नोएडा के कई स्कूलों में नलाइन क्लासें लगाई गईं।
बॉर्डर पर दस लेयर बैरिकेड लगाए गए
दिल्ली कूच कर रहे किसानों को रोकने के लिए नोएडा पुलिस ने दलित प्रेरणा स्थल के सामने बैरकेड लगाकर रास्ते बंद कर दिए। वहीं, दिल्ली पुलिस ने चिल्ला बॉर्डर पर दस लेयर बैरिकेड लगाकर किसानों को रोकने की पूरी तैयारी की। दिल्ली में प्रवेश करने वाले एक-एक वाहन पर पुलिस की कड़ी निगरानी रही।
जाम से बेहाल हो गईं नोएडा की सड़कें
किसानों के दिल्ली कूच के कारण नोएडा की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई। नोएडा-ग्रेटर नोएडा को दिल्ली से जोड़ने वाले लिंक रोड पर महामाया फ्लाईओवर से आगे वाहनों जाने नहीं दिया गया। जिसकी वजह से नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे की दिल्ली की ओर जाने वाली सड़क पर लंबा जाम लग गया। पुलिस ने यमुना एक्सप्रेस-वे से नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे होकर दिल्ली जाने वाले सभी कमर्शियल वाहनों और सिरसा से परी चौक होकर सूरजपुर जाने वाले रास्ते पर भी कमर्शियल वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई है।
इन मांगों को लेकर सड़क पर उतरे किसान
किसानों की 10 प्रमुख मांगों में जमीन अधिग्रहण से प्रभावित सभी किसानों को 10 फीसदी विकसित भूखंड, नए भूमि अधिकरण कानून के तहत लाभ मिलना, रोजगार और पुर्नवास में लाभ, हाई पावर कमेटी की सिफारिश जैसी और भी कई मांगे शामिल है।