सिंगर हंसराज रघुवंशी ने पत्नी से दोबारा शादी रचाई:मेरा भोला है भंडारी

‘मेरा भोला है भंडारी’ के गायक हंसराज रघुवंशी ने पत्नी से किया पुनः विवाह, दिलचस्प सफर की साझा की जानकारी

उत्तराखंड

संगीत की दुनिया में अपनी भक्ति भजनों के लिए मशहूर हंसराज रघुवंशी ने अपनी पत्नी कोमल सकलानी से उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर में दोबारा शादी रचाई। इस शादी के खास पल की तस्वीरें सिंगर ने सोशल मीडिया पर साझा की हैं।

कोमल सकलानी ने इस अवसर पर एक भावुक संदेश लिखा, जिसमें उन्होंने मंदिर के महत्व को बताया। उन्होंने लिखा, ”यहां भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस मंदिर के अंदर सदियों से अग्नि जल रही है। शिव-पार्वती जी ने इसी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था।”

भजन ‘मेरा भोला है भंडारी’ से पाई पहचान

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हंसराज रघुवंशी को उनके भक्ति भजन ”मेरा भोला है भंडारी, करता नंदी की सवारी” से व्यापक पहचान मिली है। उनकी आवाज़ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा था। हंसराज और कोमल का यह कदम एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है, और उनके प्रशंसकों के लिए भी यह एक खुशखबरी है।

पारिवारिक विवाद के बाद हुआ था पुनर्मिलन

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यह शादी उनके और कोमल के बीच अक्टूबर 2023 में हुए विवाद के बाद हुई है। दोनों के बीच रिश्तों में दरार आ गई थी, लेकिन अब उन्होंने फिर से एक-दूसरे से जुड़ने का निर्णय लिया।

सिंगर हंसराज रघुवंशी और उनकी पत्नी कोमल सकलानी ने त्रियुगीनारायण मंदिर में पूरे विधि-विधान से फिर से शादी की। इस खास मौके पर दोनों ने पारंपरिक शादी का जोड़ा पहना और सभी धार्मिक रस्में निभाईं।

विवाह के दौरान हंसराज और कोमल ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई और अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए। इस पवित्र अवसर पर मंदिर में पूजा-पाठ के बाद विवाह की सभी रस्में पूरी की गईं।

यह शादी उनके रिश्ते के एक नई शुरुआत का प्रतीक है, खासकर उस समय के बाद जब अक्टूबर 2023 में उनके बीच विवाद हुआ था। दोनों के इस पुनर्मिलन से उनके प्रशंसकों और परिवार के सदस्य भी खुश हैं।

हंसराज रघुवंशी: संघर्ष से सफलता तक का सफर

  1. जन्म और शिक्षा
    हंसराज रघुवंशी का जन्म 18 जुलाई 1992 को हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में हुआ। उनका गांव कंदर है, जो सोलन और बिलासपुर के बीच स्थित है। हंसराज के पिता का नाम प्रेम रघुवंशी और मां का नाम लीला रघुवंशी है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हिमाचल प्रदेश में पूरी की और ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की।
  2. नौकरी की तलाश में संघर्ष
    हंसराज के परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी, जिसके कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। पढ़ाई छोड़कर वह दिल्ली चले गए और यहां नौकरी की तलाश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। बाद में वह घर लौट आए और अपनी ज़िंदगी में कुछ नया करने का निर्णय लिया।
  3. भजन गाने से करियर की शुरुआत
    घर लौटने के बाद हंसराज ने एक कॉलेज की कैंटीन में नौकरी शुरू की। उन्हें गायकी का शौक था और वह अक्सर कैंटीन में भजन गाया करते थे। कॉलेज के स्टूडेंट्स ने उनके भजनों की सराहना की और एक स्टूडेंट ने उन्हें सोशल मीडिया पर भजन रिकॉर्ड करने और अपलोड करने की सलाह दी। हंसराज ने इस सलाह को माना और सोशल मीडिया पर अपने भजन अपलोड करना शुरू किया। इसके बाद उनकी आवाज़ ने उन्हें देशभर में पहचान दिलाई, और वह आज के समय के सबसे लोकप्रिय भजन गायकों में से एक बन गए।

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