HARYANA के चुनावी दंगल में Leaders ने वोटरों को रिझाने के लिए खूब ड्रामे किए। मतदाताओं से सीधा संवाद करने के साथ-साथ चौखट पर नतमस्तक भी हुए। Leaders का मतदाताओं की चौखट पर पहुंचना भी लाजमी था, क्योंकि प्रजा तंत्र में लोक ही सर्वोपरि हैं। एक-एक वोट की अहमियत समझते हुए Leaders ने मतदाताओं के द्वार पर खूब चक्कर काटे, क्योंकि चुनाव में एक वोट ही हार-जीत का फैसला करती है।
HARYANA विधानसभा की 90 सीटों के लिए 1031 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। चुनाव प्रचार में Leaders ने खूब पसीना बहाया। मतदाताओं को रिझाने के लिए खूब वादे किए। लिहाजा अब देखना होगा कि मतदाता नेताओं के वादों को कितनी तरजीह देते हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में 32 सीटें ऐसी थीं, जहां पर जीत-हार का अंतर 10 हजार वोटों से कम था। इसमें 25 सीटें ऐसी थीं, जहां पर जीत-हार का अंतर 5 हजार वोटों का था। जबकि एक हजार से कम अंतर से जीत-हार का फैसला देने वाली सिरसा, पुन्हाना और थानेसर सीट थीं। सिरसा सीट पर हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख गोपाल कांडा ने महज 602 वोटों से जीत दर्ज की थी। पुन्हाना सीट से कांग्रेस के विधायक मो. इलियास सिर्फ 816 वोटों से जीत हासिल की थी। इसके साथ ही थानेसर सीट से भाजपा के सुभाष सुधा ने 842 वोटों से जीत दर्ज की थी।
एक-एक वोट के लिए प्रत्याशियों ने किया संघर्ष
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला हो, लेकिन इनेलो-बसपा, जजपा-आसपा गठबंधन के साथ आप और निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनावी रण में खूब पसीना बहाया। यही नहीं कांग्रेस और भाजपा के बागियों ने भी चुनाव में बड़ी चुनौती पेश की है। ऐसे में भाजपा, कांग्रेस, इनेलो-बसपा, जजपा-आसपा के प्रत्याशियों को एक-एक वोट के लिए खूब मेहनत करनी पड़ी। नेताओं की मेहनत कितनी कारगर रही, इसकी तस्वीर 8 अक्टूबर को स्पष्ट होगी।