ISI एजेंटों का बड़ा खुलासा: दिल्ली और रांची से दो जासूस गिरफ्तार, सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारी लीक करने की कोशिश
पाकिस्तान हाई-कमीशन फिर विवादों में: हाई-कमीशन में मौजूद ISI एजेंट को भारत का अल्टीमेटम – 24 घंटे में देश छोड़ो
मिलिट्री इंटेलिजेंस का बड़ा ऑपरेशन: नेपाल, दिल्ली और पाकिस्तान के बीच फैला ISI का नेटवर्क बेनकाब
ISI Agent: ऑपरेशन सिंदूर की सैन्य सफलता के बाद पाकिस्तान ने प्रॉक्सी वॉर की राह पकड़ी, लेकिन भारत की खुफिया एजेंसियों ने इस बार भी उसे बुरी तरह बेनकाब कर दिया है। दिल्ली में ISI के स्लीपर सेल का भंडाफोड़ करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने नेपाली मूल के एक जासूस अंसारुल मियां अंसारी और उसके साथी अख़लाख आजम को गिरफ्तार किया है। दोनों को मार्च 2025 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन इसका खुलासा अब किया गया है।
अंसारुल को ISI ने भारतीय सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारी एकत्र कर पाकिस्तान भेजने का काम सौंपा था। इसके पास से आर्म्ड फोर्सेस से जुड़े कई संवेदनशील दस्तावेज और एक सीडी बरामद हुई है। वह पाकिस्तान जाने की तैयारी में था जब उसे दिल्ली में गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के बाद झारखंड के रांची से अख़लाख आजम को भी दबोचा गया।
सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि ये एक संगठित और प्रशिक्षित जासूसी नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो लंबे समय से भारत में खुफिया गतिविधियां चला रहा था। इस नेटवर्क का संचालन सीधे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI कर रही थी।
इस बीच भारत सरकार ने पाकिस्तान हाई-कमीशन में बैठे एक और ISI एजेंट को 24 घंटे में देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है। बताया जा रहा है कि यह एजेंट हाई-कमीशन में शहबाज नामक अधिकारी का करीबी है और भारत में लंबे समय से जासूसी गतिविधियों में लिप्त था।
पाकिस्तान हाई-कमीशन पर यह कोई पहली बार आरोप नहीं लगा है। 2020 में भी दो पाकिस्तानी एजेंट आबिद हुसैन और ताहिर खान को दिल्ली पुलिस और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने वीजा अफसर की आड़ में जासूसी करते पकड़ा था, जिन्हें बाद में देश छोड़ने को मजबूर किया गया।
इसी तरह 2021 में भी राणा मोहम्मद जीया, जो वीजा अफसर के रूप में तैनात था, असल में ISI का एजेंट निकला। उससे जुड़े हबीब नामक आर्मी कांट्रेक्टर को पोखरन से गिरफ्तार किया गया था।
भारत में पाकिस्तान हाई-कमीशन ISI का अड्डा बन चुका है, यह एक बार फिर साफ हो गया है। भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने इस बार सख्त रुख अपनाते हुए हाई-कमीशन स्टाफ की संख्या भी आधी कर दी थी, ताकि भविष्य में ऐसे जासूसी नेटवर्कों को जड़ से खत्म किया जा सके।