- लुधियाना रेंज के SSP विजिलेंस जगतप्रीत सिंह को मान सरकार ने सस्पेंड कर दिया, जांच में मिलीभगत के आरोप
- कांग्रेस नेता भारत भूषण आशु को समन भेजने के पीछे राजनीतिक मिलीभगत का शक, SSP को डीजीपी ऑफिस चंडीगढ़ अटैच किया गया
- सीएम भगवंत मान ने अफसरों को दी दो टूक चेतावनी- कोई भी भ्रष्टाचार में बख्शा नहीं जाएगा, चाहे कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो
PunjabVigilance: पंजाब में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री भगवंत मान की मुहिम लगातार तेज होती जा रही है। ताजा मामला लुधियाना रेंज के SSP विजिलेंस जगतप्रीत सिंह का है, जिन्हें कांग्रेस नेता भारत भूषण आशु को संदिग्ध परिस्थितियों में समन जारी करने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, एसएसपी जगतप्रीत सिंह ने 6 जून को भारत भूषण आशु को पेश होने के लिए समन जारी किया, लेकिन इसकी वैधता और प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे। कहा जा रहा है कि यह समन राजनीतिक सहानुभूति हासिल करने की मंशा से, आपसी मिलीभगत के तहत जारी किया गया था। आशु और SSP के बीच पुराना संबंध सामने आया है — बताया जा रहा है कि आशु ने ही इस अधिकारी की नियुक्ति पहले डीएसपी के रूप में करवाई थी।
इस कार्रवाई को लुधियाना पश्चिम में होने वाले उपचुनाव से भी जोड़ा जा रहा है, जहां आशु की छवि को लाभ पहुंचाने के लिए यह सब ‘राजनीतिक स्टंट’ किया गया। समन बिना उच्चाधिकारियों की स्वीकृति और औपचारिक आदेशों के जारी किया गया था।
इसी मामले में SSP जगतप्रीत सिंह को निलंबित कर DGP ऑफिस चंडीगढ़ अटैच किया गया है।
यह पहली बार नहीं है जब पंजाब विजिलेंस विभाग के अधिकारी कार्रवाई की चपेट में आए हों। इससे पहले पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के चीफ, AIG और एक अन्य SSP को भी सस्पेंड किया जा चुका है, जिसमें रिश्वत और भ्रष्टाचार के कई मामले दर्ज हैं।
मुख्यमंत्री ने फिर दोहराया कि कोई भी अधिकारी, चाहे वह कितने ऊंचे पद पर क्यों न हो, अगर वह भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया या भ्रष्टाचारियों को बचाया, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सीएम का यह भी कहना है कि “भ्रष्टाचार में कोई अपना-पराया नहीं होता”, और इसीलिए पंजाब में हाल ही में अनेक पुलिसकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों पर सख्त कदम उठाए गए हैं।