- नूंह जिले के बसई मेव गांव में अवैध खनन को लेकर एसीबी ने दर्ज की FIR, वन, खनन, चकबंदी और राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, पूर्व सरपंच और माफिया आरोपी।
- सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (CEC) की रिपोर्ट में खुलासा, नियमों को ताक पर रख अवैध रास्तों का निर्माण कर खनन सामग्री की तस्करी।
- रास्तों के निर्माण में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और भू-संरक्षण कानून का उल्लंघन, स्थानीय किसानों को नुकसान पहुंचाने और मुआवजा तक न देने का आरोप।
📰 खबर का विस्तार:
हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका के बसई मेव गांव में अवैध खनन मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने बड़ी कार्रवाई की है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (CEC) की रिपोर्ट के आधार पर एसीबी ने वन, राजस्व, खनन और चकबंदी विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ गांव के निवर्तमान सरपंच हनीफ उर्फ हन्नान और खनन माफिया के खिलाफ FIR दर्ज की है।
यह FIR एसीबी के डीएसपी अशोक कुमार की शिकायत पर दर्ज की गई, जिसमें CEC की 15 अप्रैल 2025 की निरीक्षण रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। रिपोर्ट के पैरा नंबर 17 में साफ कहा गया है कि राजस्थान सीमा से लगे बसई मेव गांव में गैर-आवश्यक और खनन के लिए हितकारी अवैध रास्तों का निर्माण किया गया, जिनका उद्देश्य था खनन सामग्री की हरियाणा में तस्करी को आसान बनाना।
CEC ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया कि यह सारा काम सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और गांव के सरपंच की मिलीभगत से किया गया। आरोप है कि इन रास्तों के निर्माण में न तो किसानों को कोई सूचना दी गई और न ही मुआवजा दिया गया, जिससे ग्रामीणों को भारी नुकसान हुआ। रिपोर्ट में कहा गया कि यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के 7 मई 1992 के आदेश और पंजाब भू संरक्षण कानून, 1900 का उल्लंघन है। इसके अलावा वन विभाग से मंजूरी लिए बिना निर्माण कार्य कराया गया, जो कानूनन अपराध है।
पूर्व सरपंच हनीफ को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। अब एसीबी की टीम इस पूरे मामले की 90 दिन में जांच कर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को सौंपेगी। एसीबी अधिकारियों का कहना है कि सभी दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।