➤ हरियाणा में स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण की जिम्मेदारी 12 मंत्रियों, सांसद व विधायकों को सौंपी गई
➤ वरिष्ठ मंत्री अनिल विज को इस बार भी जिम्मेदारी से दूर रखा गया
➤ अंबाला में राज्यपाल करेंगे ध्वजारोहण, विज रहेंगे केवल साथ
हरियाणा में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस बार एक अलग तरह की सियासी हलचल देखने को मिल रही है। राज्य सरकार ने जिला मुख्यालय और उपमंडल स्तर पर ध्वजारोहण की जिम्मेदारी 12 मंत्रियों, सांसद और विधायकों को सौंपी है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ मंत्री अनिल विज को इस जिम्मेदारी से एक बार फिर दूर रखा गया है।
इस बार अंबाला में ध्वजारोहण का कार्य राज्यपाल प्रोफेसर असीम कुमार घोष करेंगे और अनिल विज केवल उनके साथ मौजूद रहेंगे। हरियाणा के इतिहास में यह पहली बार होगा जब कोई वरिष्ठ मंत्री जिला मुख्यालय पर खुद ध्वजारोहण न करके, राज्यपाल के ध्वजारोहण समारोह में केवल अगवानी और मेजबानी करेगा। विज ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश के अनुसार, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी रोहतक में, विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण पानीपत में और विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार मिड्ढा सोनीपत में ध्वजारोहण करेंगे। इसके अलावा,
- कृष्ण लाल पंवार (थानेसर)
- राव नरबीर सिंह (रेवाड़ी)
- महिपाल ढांडा (कैथल)
- विपुल गोयल (महेंद्रगढ़)
- अरविंद कुमार शर्मा (करनाल)
- श्याम सिंह राणा (गुरुग्राम)
- रणबीर गंगवा (फतेहाबाद)
- कृष्ण कुमार बेदी (हिसार)
- श्रुति चौधरी (पंचकूला)
- आरती सिंह राव (नूंह)
- राजेश नागर (सिरसा)
- गौरव गौतम (फरीदाबाद)
अपने-अपने जिलों में ध्वजारोहण करेंगे।
यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले 21 दिनों में यह दूसरी बार है जब विज को जिम्मेदारी से दूर रखा गया है। इससे पहले, 22 जुलाई को भाजपा ने विधानसभा चुनाव में हारी 42 सीटों की जिम्मेदारी मंत्रियों और विधायकों को सौंपी थी, लेकिन विज का नाम सूची में शामिल नहीं था। उस समय एक मंत्री ने उनकी बीमारी को कारण बताया था, हालांकि अगले ही दिन उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। तब भी विज ने कोई टिप्पणी नहीं की थी।
प्रशासनिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार के अनुसार, आमतौर पर राज्यपाल के ध्वजारोहण कार्यक्रम में डीसी और एसपी ही आगवानी व मेजबानी करते हैं, लेकिन इस बार वरिष्ठ मंत्री विज यह भूमिका निभाएंगे। यह राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों दृष्टि से एक अलग तरह की घटना है, जिसने सियासी गलियारों में चर्चा को गर्मा दिया है।

