Initiation ceremony today in Panipat Gandhi Mandi

Haryana : दीक्षा लेकर आज सांसारिक सुखों का त्याग करेंगे सूरज-अंशिका, जीवन की मोहमाया का त्याग कर गुरु के दिखाए पथ पर होंगे अग्रसर

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हरियाणा के जिला पानीपत में आज दिल्ली की 16 वर्षीय युवती और उत्तर प्रदेश का 21 वर्षीय युवक दीक्षा ग्रहण कर सांसारिक सुखों का त्याग करेंगे। जिनके मन में गुरुओं को देखकर उन्हीं के जैसा जीवन जीने की इच्छा जागृत हुई है। बता दें कि दोनों को दीक्षा ग्रहण करवाने के लिए वीरवार को पानीपत के गांधी मंडी स्थित श्री एसएस जैन सभा (जैन स्थानक) में दीक्षा ग्रहण समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें दोनों युवक-युवती दीक्षा लेकर गुरु के दिखाए पथ की ओर अग्रसर होंगे और मनुष्य जीवन की मोहमाया का त्याग करेंगे।

गौरतलब है कि दिल्ली निवासी 16 वर्षीय अंशिका और उत्तर प्रदेश के रहने वाले 21 वर्षीय सूरज पंडित आज पानीपत की गांधी मंडी में दीक्षा ग्रहण करने जा रहे हैं। दीक्षा लेकर दोनों सांसारिक मोहमाया का त्याग कर साधु-साध्वी बनेंगे। बुधवार को मंगल मेहंदी आलेखन का मांगलिक कार्यक्रम किया गया। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ। जिसमें महाराष्ट्र के गायक तरुण मोदी ने सभी को संगीत लहरी से सराबोर किया। बता दें कि अंशिका और सूरज दोनों करीब 4 वर्षों से जैन धर्म की शिक्षाओं का अनुसरण कर रहे हैं। यह जिज्ञासा दोनों में गुरुओं को देखकर ही जागी और दोनों ने गुरुओं की भांति ऐसा जीवन जीने का निर्णय लिया।

दीक्षा 1

बताया जा रहा है कि सूरज पंडित उत्तर प्रदेश के जिला गोंडा के गांव दुरगुडवा के रहने वाले हैं। पिता विसराम पंडित किसान हैं और खेतीबाड़ी करते हैं। उनकी मां सुनीता पंडित है। सूरज ने कक्षा 12वीं तक पढ़ाई की है। जब उन्होंने दिल्ली में पहली बार जैन संत ओजस्वमी वक्ता रमेश मुनि महाराज को देखा तो उनका पहला सवाल यही था कि जैन संत मुंह क्यों ढककर रखते हैं, बोलते कैसे हैं। इसके बाद उन्होंने गुरुओं के मार्ग पर चलने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद सूरज पंडित करीब 4 वर्ष से गुरुओं की शिक्षाओं का अनुसरण कर रहे थे। आज वह दीक्षा लेकर गुरुओं के ज्ञान से भक्तों का मार्गदर्शन करेंगे।

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वहीं दिल्ली की रहने वाली अंशिका का जन्म द्वारिका में हुआ। वह केवल 16 साल की आयु में ही सांसारिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर रही हैं। अंशिका के पिता सुभाष बंसल दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं। परिवार में मां, एक भाई और दो बहनें हैं। अंशिका अकसर अपने माता-पिता के साथ गुरुओं का दर्शन करने के लिए पानीपत आती थी। करीब 4 वर्ष पहले यहां आई तो उनके मन में गुरुओं को देखकर ऐसा ही जीवन जीने की इच्छा जागृत हुई। जिसके बारे में उन्होंने अपने माता-पिता को बताया। इसके बाद श्रमणी गौरव महासाध्वी शक्ति प्रभा के चरणों में बच्ची को अर्पण कर दिया गया। आज अंशिका सांसारिक मोहमाया छोड़कर गुरुओं के दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ने का संकल्प लेंगी।