हरियाणा शिक्षा विभाग की संशोधित ट्रांसफर पॉलिसी के तहत अब शिक्षकों को परीक्षा परिणाम में दिए जाने वाले अंकों का लाभ नहीं मिलेगा। यह लाभ सीधे तौर पर स्कूल प्रिंसिपल और हेड मास्टर को ही मिलेगा। प्रदेश के तमाम शिक्षक संगठनों ने सेवा अवधि के अंकों के लिए निदेशालय से मांग की थी, जिसे माना नही गया।
मेजर बदलावों के साथ ही शिक्षा विभाग ने संशोधित ट्रांसफर पॉलिसी को आगे बढ़ाया है। जिसे अब कैबिनेट की मंजूरी दिलवाई जाएगी। उसके बाद विभाग ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी का शैडयूल जारी करेगा।
पहले शिक्षकों को मिलता रहा है परीक्षा परिणाम के अधिकतम पांच अंकों का लाभ
पुरानी ट्रांसफर पॉलिसी में अंकों के बंटवारे में शिक्षक को तबादलों के लिए मिलने वाले अंकों में कुल पांच अंक परीक्षा परिणाम के लिए दिए जाते थे। जिसमें 75 प्रतिशत से 80 प्रतिशत परिणाम वाले को एक, 80 से 85 प्रतिशत वाले को दो, 85 से 90 प्रतिशत वाले को तीन, 90 से 95 प्रतिशत वाले को चार और 95 से 100 प्रतिशत परिणाम वाले को पांच अंक दिए जाने शामिल थे।
ये अंक शिक्षक को ट्रांसफर ड्राइव के दौरान उसका मेरिट क्राइटेरिया और उसे नजदीक का स्टेशन दिलवाने में मदद करते थे। मगर अब विभाग ने शिक्षकों को इन अंकों का लाभ देने से मना कर दिया है। मगर अब संशोधित ट्रांसफर पॉलिसी के तहत प्रिंसिपल और हेड मास्टर को विद्यालय के कुल परिणाम के अंकों का लाभ मिलेगा।
सेवा अवधि का भी नहीं मिलेगा शिक्षकों को लाभ
एक शिक्षक विभाग में कितने साल से कार्य कर रहा है, उन अंकों को ट्रांसफर पॉलिसी में लेने की मांग विभिन्न शिक्षक संगठनों द्वारा की गई थी। क्योंकि उच्चतर शिक्षा विभाग में सेवा अवधि के अंकों का लाभ दिया गया है।
मगर संशोधित ट्रांसफर पॉलिसी में स्कूल शिक्षकों को यह लाभ नहीं मिलेगा। वहीं, पुरानी पॉलिसी में विधवाओं को दस अंकों का लाभ मिलता था। मगर अब संशोधित ट्रांसफर पॉलिसी के तहत विधवाओं को बच्चों की उम्र सहित तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखकर दिए जाएंगे।
ब्लॉक के विकल्प भरवाने के बाद दिया जाएगा उपलब्ध पदों का ब्यौरा
तबादलों की इच्छा रखने वाले शिक्षकों से ब्लॉक के विकल्प लिए जाएंगे। उसके बाद नॉर्मलाइजेशन के आधार पर पदों के विवरण को सार्वजनिक किया जाएगा ताकि सभी शिक्षकों को उपलब्ध पदों के हिसाब से स्टेशन दिए जा सकें। फिलहाल विभाग की संशोधित ट्रांसफर पॉलिसी को मुख्यमंत्री की मंजूरी मिल चुकी है।
अब विभाग अन्य औपचारिकताएं पूरी करने में जुटा हुआ है। इसके बाद पॉलिसी को कैबिनेट से मंजूरी दिलवाई जाएगी। फिर निदेशालय ट्रांसफर ड्राइव का शैडयूल जारी करेगा। इस प्रक्रिया में करीब डेढ़ से दो माह का समय लग सकता है।
शिक्षकों के साथ साझा नहीं किया बदलाव का ड्राफ्ट
इस बारे हसला राज्य प्रधान सतपाल सिंधु का कहना है कि पिछले साल हुए तबादलों में पाई गई अनियमितताओं को दूर करने के लिए हसला संगठन कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से तबादलों के लिए मिल चुका है। लेकिन इस सत्र के लगभग चार महीने बीतने के बाद भी तबादलों को लेकर शिक्षा विभाग अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाया है।
यहां तक की टीचर ट्रांसफर पॉलिसी में हुए बदलाव का ड्राफ्ट भी अभी तक संगठन को उपलब्ध नहीं करवाया गया है जबकि संशोधित ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर तरह-तरह के बदलाव सुनने में आ रहा है। बिना संगठन से विचार विमर्श से मनमाफिक बदलाव करना किसी भी सूरत में सही नहीं है।
अधिकारियों को चाहिए था कि वे ड्राफ्ट संगठनों के साथ विचार विमर्श करके तैयार करते ताकि कानूनी पेचिदगियों से बचा जा सकता। शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह सभी औपचारिकताएं पूरी करके जल्द से जल्द ट्रांसफर ड्राइव चलाए ताकि पिछले साल के तबादलों की अनियमितताओं को दूर करके सभी बच्चों को अध्यापक उपलब्ध हो सकें।