पेरिस ओलंपिक में भारत ने अब तक तीन मेडल जीते हैं। जिनमें से एक मेडल मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने सूटिंग में भारत को दिलाया है। Sarabjot Singh ने मनु भाकर से साथ पेरिस ओलिंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता है।
बता दें कि सरबजोत सिंह हरियाणा के अंबाल के धीन गांव के रहने वाले हैं। वहीं, पेरिस से वापस लौटने पर सरबजोत का जोरदार स्वागत किया गया है। यहीं नहीं हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री और भाजपा नेता अनिल विज ने सरबजोत सिंह के स्वागत में पंजाबी बोली गाई….. “बारी बरसी खट्टं ग्या सी खट्ट के ले आया अखरोट” भारत नू भाग लग गए, मेडल जीत के ले आया सरबजोत’।

कांस्य पदक जीतकर रचा इतिहास
भारत के शीर्ष निशानेबाज सरबजोत सिंह ने मंगलवार को पेरिस ओलंपिक 2024 में मनु भाकर के साथ 10 मीटर पिस्टल मिश्रित स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा है और भारत को उसका दूसरा पदक दिलाया। हरियाणा के अंबाला के धीन गांव के रहने वाले सरबजोत सिंह किसान जतिंदर सिंह और गृहिणी हरदीप कौर के बेटे हैं।
उन्होंने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की है और अंबाला कैंट में एआर शूटिंग अकादमी में कोच अभिषेक राणा के अधीन प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जो सेंट्रल फीनिक्स क्लब के भीतर स्थित है। सरबजोत सिंह ने 2019 जूनियर विश्व चौंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता के रूप में वरिष्ठ रैंक में प्रवेश किया और इसके बाद 2023 में एशियाई खेलों की टीम स्वर्ण और मिश्रित टीम रजत हासिल किया।

कौन हैं सरबजोत सिंह, जिन्होंने मनु संग रचा इतिहास
पंजाब के अंबाला (धीन गांव) में एक किसान परिवार से आने वाले सरबजोत सिंह खेल में अपनी उपलब्धियों के बावजूद अपनी परिपक्वता और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। उनके पिता का नाम जतिंदर सिंह और मां का नाम हरदीप कौर है।
उन्होंने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से पढ़ाई की है। वह कोच अभिषेक राणा से ट्रेनिंग लेते हैं। सरबजोत सिंह ने समर कैंप के दौरान कुछ बच्चों को एक अस्थायी रेंज में एयर गन चलाते देखा था। वह तब 13 साल के थे और फुटबॉलर बनना चाहते थे।
बच्चों को निशाना लगाते देख करने लगे शूटर बनने की जिद

बच्चों को पिस्तौल से निशाना लगाते देखना उसके दिमाग से नहीं गया। उन्होंने 2014 में पिता से कहा- पिताजी, मैं शूटिंग करना चाहता हूं। उनके पिता जितेंदर सिंह ने अपने बेटे से कहा कि यह खेल बहुत महंगा है। हांलाकि सरबजोत ने शूटिंग खेलने के लिए महीनों तक जोर दिया और उन्होंने 2019 में सुहल में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। यह उनके करियर का टर्निंग पॉइंट रहा।







