हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने संगठन में बदलाव करते हुए Jitendra Baghelको नया सह प्रभारी नियुक्त किया है। यह फैसला दीपक बाबरिया द्वारा चुनावी हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश के बाद लिया गया। बघेल, जो कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं, अब हरियाणा में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के प्रयास में लगे हैं।
बघेल की नियुक्ति और पहली बैठक
जितेंद्र बघेल को गुपचुप तरीके से हरियाणा में 10 दिन पहले नियुक्त किया गया, और उन्होंने मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस की 8 सदस्यीय कमेटी की बैठक में भाग लिया, जो चुनाव में हार के कारणों पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी। बघेल ने बैठक में दिशा-निर्देश दिए और 9 नवंबर को एक और समीक्षा बैठक में शामिल होकर चुनाव में हारे नेताओं से फीडबैक लेने का निर्णय किया है।
दीपक बाबरिया के स्वास्थ्य कारण और इस्तीफे की पेशकश
कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी रहे दीपक बाबरिया ने राहुल गांधी से मुलाकात में अपनी जगह किसी और को नियुक्त करने का आग्रह किया। ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के चलते बाबरिया समय नहीं दे पा रहे हैं। 9 सितंबर को अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती होना पड़ा था।
चुनावी हार के कारणों की जांच के लिए कमेटी की रणनीति
5 नवंबर को दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस की 8 सदस्यीय कमेटी की बैठक हुई जिसमें चुनाव हारने के चार मुख्य कारणों की जांच का निर्णय लिया गया:
- पुलिस का रोल: भाजपा नेताओं द्वारा चुनाव में पैसा और शराब बांटने के आरोपों की जांच।
- अधिकारियों की भूमिका: भाजपा के पक्ष में वोट डलवाने के आरोपों में अधिकारियों की भूमिका की जांच।
- धर्म के नाम पर वोट: भाजपा नेताओं पर धर्म के आधार पर वोट मांगने के आरोप।
- बूथों की वेब कास्टिंग और निगरानी: कई जगहों पर वेब कास्टिंग और CCTV की कमी का आरोप।
कमेटी में हारे हुए नेताओं का योगदान
कमेटी के अध्यक्ष करण सिंह दलाल के साथ पार्टी के लीगल सेल अध्यक्ष केसी भाटिया, विधायक आफताब अहमद, और चुनाव हारे 5 नेता शामिल हैं। इनमें वीरेंद्र राठौड़ (घरौंडा), विजय प्रताप सिंह (बड़खल), वीरेंद्र बुल्ले शाह (पानीपत सिटी), डॉ. मनीषा सांगवान (दादरी), और जयवीर वाल्मीकि (खरखौदा) जैसे नेता शामिल हैं।
कांग्रेस ने इन सभी नेताओं से हार के सबूत मांगने का निर्णय लिया है, ताकि पार्टी की लीगल टीम आवश्यक कदम उठा सके।