हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के तहत चयनित होने वाले उम्मीदवारों को अब सामाजिक-आर्थिक मानदंड और अनुभव के आधार पर मिलने वाले अंक नहीं दिए जाएंगे। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। इसके बाद सरकार ने HKRN की पॉलिसी में बदलाव करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
हाईकोर्ट का आदेश
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस दीपक सिब्बल और जस्टिस दीपक मनचंदा शामिल थे, ने 21 नवंबर को खालिद हुसैन बनाम हरियाणा राज्य मामले में यह अंतरिम आदेश दिया। कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि “सामाजिक-आर्थिक मानदंड” और “अनुभव” के लिए अंक नहीं दिए जाएंगे।
हाईकोर्ट ने कहा कि अनुभव के आधार पर अंक देने की शर्त मनमानी है क्योंकि इसमें केवल हरियाणा सरकार के नियंत्रण में आने वाले संस्थानों का अनुभव शामिल किया जाता है, जबकि अन्य संस्थानों में अर्जित वास्तविक अनुभव को नज़रअंदाज किया जाता है।
सीएम ने पॉलिसी में बदलाव को दी मंजूरी
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि HKRN की पॉलिसी में बदलाव किए जाएंगे। मीटिंग में मुख्य सचिव, मानव संसाधन विभाग और अन्य उच्च अधिकारियों ने भाग लिया। इसके साथ ही कुछ और बदलावों पर भी विचार किया जा सकता है।
1100 कर्मचारियों को मिला झटका
इस आदेश के बाद करीब 1100 कर्मचारियों को झटका लगा है, जो हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत काम कर रहे थे। चूंकि HSSC द्वारा चयनित उम्मीदवारों ने जॉइन कर लिया है, इन कर्मचारियों को अब रिलीव किया गया है। फिलहाल, इन कर्मचारियों को फिर से एडजस्ट करने की संभावना नहीं है, लेकिन बाद में अनुभव के आधार पर उन्हें प्राथमिकता दी जा सकती है।