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Faridabad: राष्ट्रीय लोक अदालत में  42164  मामलों का आपसी सहमति से  निपटारा

हरियाणा फरीदाबाद

 Faridabad सेक्टर-12 में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में विचाराधीन केसों का आपसी सहमति से निपटारा किया गया। लोक अदालत में 50837 केस रखे गए,  जिनमें से कुल 42164 केसों का निपटारा आपसी सहमति से हुआ। मोटर वाहन दुर्घटना के  60,  आपराधिक मामले  6013, चेक बाउंस के 1717, बिजली से संबंधित 336, समरी चालान के 24636, श्रमिक विवाद के 10 , वैवाहिक संबंधित 381,  दीवानी के 4054, बैंक रिकवरी के 342, रेवेन्यू के 4615 मामलों का निपटारा किया गया।

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सीजेएम एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ऋतु यादव ने कहा कि हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन एवं न्यायमूर्ति पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ अरुण पल्ली के दिशा निर्देशानुसार प्रत्येक जिले में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला के सत्र न्यायाधीश एवं चेयरमैन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संदीप गर्ग की अध्यक्षता में अदालत आयोजित हुई।लोक अदालत में 17 बेंच लगाए गए, जिनमें संदीप गर्ग जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अमृत सिंह  अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश,  ज्योति लांबा अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश,  विजय जेम्स अतिरिक्त प्रिंसिपल जज फैमिली कोर्ट,  जितेंद्र सिंह मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी,  नवीन कुमार न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, अनिल कुमार न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, सौरभ शर्मा न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, अमितेंद्र सिंह न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, रजत कुमार कनौजिया न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, दीपक यादव न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, कोमल न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, प्रेरणा आर्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, तरुण चौधरी न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, हिमानी सागर न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, प्रियंका वर्मा न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, नीतिका भारद्वाज न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी की बेंच बनाई गई।

सीजेएम रितु यादव ने बताया कि अदालत  में अधिक से अधिक ट्रैफिक चालान से संबंधित केसों का निपटारा किया गया। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा एक जनरल हेल्थ चेकअप कैंप अमृता हॉस्पिटल सेक्टर-82 फरीदाबाद के सहयोग से आयोजित किया गया। डॉक्टर मोहित तेवतिया, कोऑर्डिनेटर श्वेता जैन आदि हॉस्पिटल की तरफ से उपस्थित रहे। 40 वर्ष से ऊपर की महिलाओं का मैमोग्राफी भी किया गया।  न्यायिक दंडाधिकारी ने कहा कि लोक अदालत में फैसला होने पर जिसकी सुप्रीम कोर्ट तक कोई अपील नहीं होती। कोर्ट फीस वापस हो जाती है तथा केस का फैसला हमेशा के लिए हो जाता है, जिससे पैसे व समय की बचत होती है तथा आपस में प्यार भाव बना रहता है।

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