हिंदू पंचांग के अनुसार हर एक वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नाग पंचमी के प्रमुख त्यौहार है और यह पर्व सावन के महीने में मनाया जाता है।
अवध धाम मंदिर संस्थापक एवं ज्योतिषाचार्य पं. दाऊजी महाराज ने बताया कि एक वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नाग पंचमी एक प्रमुख त्यौहार है और यह पर्व सावन के महीने में मनाया जाता है। सावन का माह भगवान शिव का सबसे प्रिय माह होता है। जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा आराधना होती है। भगवान शिव के गले में नाग देवता हमेशा लिपटे रहते हैं और नाग भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा-उपासना करने पर नाग देवता के साथ भोलेभंडारी भी अत्यंत प्रसन्न होते हैं। नाग पंचमी के पर्व पर सभी प्रमुख नाग मंदिरों में नाग देवता की पूजा होती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प संबंधी दोष होता है, तो इससे मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी के दिन उपाय किए जाते हैं। इस बार नाग पंचमी बहुत ही शुभ योग में मनाई जा रही है।
आज मध्य रात्रि शुरू हो जाएगी नाग पंचमी
सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 21 अगस्त 2023 की मध्य रात्रि 12 बजकर 21 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन यानी 22 अगस्त की रात्रि 02 बजे समाप्त हो जाएगी। इस तरह से नाग पंचमी का त्यौहार 21 अगस्त 2023 सोमवार के दिन है। नाग पंचमी पर भगवान शिव और नाग देवता की पूजा का विधान होता है। ऐसे में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 53 मिनट से सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक निर्धारित किया गया है।
पूजन विधि
ज्योतिषाचार्य पं. देवनारायण उपाध्याय ने बताया कि नागपंचमी पूजा हमारे सनातन धर्म में ईश्वर को समग्ररूपेण देखने की परम्परा है। इसी वजह से हमने समस्त जड़-चेतन में परमात्मा को प्रत्यक्ष मानकर उनकी आराधना करते है। यही कारण है कि जब हम ईश्वर के चैतन्य स्वरूप की बात करते हैं, तो उसमें केवल मनुष्य ही नहीं, अपितु समस्त पशु-पक्षियों का भी समावेश हो जाता है।
महत्व
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की विशेष रूप से पूजा करने का महत्व होता है। सांपों से अपने परिवार की रक्षा करने के लिए नाग पंचमी पर्व का नागों की पूजा की जाती है। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने पर इस दोष से छुटकारा मिलता है।
नाग पंचमी पर सभी प्रमुख नाग मंदिरों में भारी भीड़ होती है। उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर वर्ष सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है। जहां पर नागदेवता की पूजा और दर्शन करने से कालसर्प खत्म हो जाता है। नाग पंचमी के दिन सांपो को दूध अर्पित किया जाता है। नाग पंचमी के दिन अनंत, तक्षक, कालिया और वासुकि समेत सभी नागों की पूजा की जाती है।
उपाय
-नाग पंचमी के दिन शिवलिंग पर तांबे के लोटे से ही जल चढ़ाएं। इसके अलावा आप पीतल के लोटे का भी प्रयोग कर सकते हैं।
-नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने के बाद उन्हें दूध, मिठाई और फल अर्पित करें।
-इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र जरूर अर्पित करने चाहिए और नाग देवता की विधिवत पूजा करें।
-नाग पंचमी के दिन बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे नाग देवता के लिए दूध जरूर रखें। ऐसा माना जाता है कि अगर नाग देवता आपके द्वारा रखा हुआ दूध पी लेते हैं, तो इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है।