Haryana उच्च शिक्षा विभाग (DHE) ने एक कड़ी कार्रवाई करते हुए राज्यभर में कई एक्सटेंशन लेक्चररों को ‘अयोग्य’ मानते हुए उनकी सेवाएं तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दी हैं। इन लेक्चररों की पीएचडी डिग्री राजस्थान के तीन निजी विश्वविद्यालयों से थी, जिन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अगले पांच सालों के लिए छात्रों के नामांकन से प्रतिबंधित कर दिया है।
क्या है मामला?
इन एक्सटेंशन लेक्चररों को 57,700 रुपये मासिक वेतन मिल रहा था, और उनका दावा था कि उनकी पीएचडी डिग्रियां यूजीसी के मानकों के अनुसार योग्य हैं। लेकिन हाल ही में, UGC द्वारा राजस्थान के ओपीजेएस, सनराइज और सिंघानिया विश्वविद्यालयों से प्राप्त पीएचडी डिग्रियों को मान्यता से बाहर कर दिया गया। इसके बाद हरियाणा सरकार ने 100 से अधिक लेक्चररों की सेवाएं समाप्त कर दीं।
शॉकिंग अल्टीमेटम
DHE ने अपने आदेश में कहा है कि इन लेक्चररों की डिग्री को शैक्षिक पात्रता के लिए नहीं माना जा सकता और इस प्रकार उन्हें सेवा में बनाए रखना न केवल राज्य नीति के खिलाफ है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
हालांकि, इस निर्णय को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है। एक्सटेंशन लेक्चरर वेलफेयर एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि डीएचई ने दोहरा मापदंड अपनाया है, क्योंकि राज्य के कई नियमित संकाय सदस्य भी उन्हीं विश्वविद्यालयों से पीएचडी डिग्री लेकर नियुक्त हुए हैं, लेकिन केवल एक्सटेंशन लेक्चरर्स के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।