हरियाणा के सिरसा से कांग्रेस(Congress) सांसद कुमारी सैलजा(MP Selja) को लोकसभा में बड़ी भूमिका मिलने वाली है। उनका नाम लोकसभा की सभापति तालिका में शामिल(included in the Speaker) किया गया है। इस तालिका में कुल 9 नाम हैं, जिनमें कुमारी सैलजा के अलावा बीजेपी के सांसद जगदंबिका पाल(MP Jagdambika Pal) और समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद(MP Awadhesh Prasad) भी शामिल हैं।
बता दें कि लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला(Om Birla) ने सोमवार को सदन को इस सूची के बारे में जानकारी दी। सूची के अनुसार, बीजेपी के जगदंबिका पाल, पीसी मोहन, संध्या राय और दिलीप सैकिया, कांग्रेस से कुमारी सैलजा, तृणमूल कांग्रेस से काकोली घोष दस्तीदार, समाजवादी पार्टी से अवधेश प्रसाद, द्रमुक से ए राजा और तेलुगु देशम पार्टी से कृष्णा प्रसाद शामिल हैं। सभापति तालिका के सदस्य अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं। इसका मतलब है कि जब लोकसभा अध्यक्ष मौजूद नहीं होते हैं, तब ये सदस्य सदन की कार्यवाही को संभालते हैं।

कुमारी सैलजा का राजनीतिक करियर काफी लंबा और महत्वपूर्ण रहा है। वे हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रमुख रही हैं और सिरसा और अंबाला (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्रों से लोकसभा सांसद रह चुकी हैं। 2014 से 2020 तक वे राज्यसभा सांसद भी रही हैं। इसके अलावा, वे केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं। कुमारी सैलजा का जन्म 24 सितंबर 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के गांव प्रभुवाला में हुआ था। वे प्रमुख दलित नेता चौधरी दलबीर सिंह की बेटी हैं।
महिला कांग्रेस की रह चुकी अध्यक्ष
उन्होंने नई दिल्ली के जीसस ऐंड मेरी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और फिर पंजाब विश्वविद्यालय से एम फिल (दर्शनशास्त्र में परास्नातक) की उपाधि प्राप्त की। कुमारी सैलजा महिला कांग्रेस की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। वे 1991 में दसवीं लोकसभा के चुनाव में हरियाणा के सिरसा लोकसभा क्षेत्र से चुनी गईं। 1996 के लोकसभा चुनावों में, जब कांग्रेस का प्रदर्शन खराब था, तब भी कुमारी सैलजा ने जीत हासिल की। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अंबाला लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल की।

महत्वपूर्ण मंत्रालयों में किया कार्य
कुमारी सैलजा का राजनीतिक जीवन समाज सेवा और दलितों के उत्थान के लिए समर्पित रहा है। उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों में कार्य किया है और अपनी नीतियों और कार्यों से समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन में सुधार लाने की कोशिश की है। उनके योगदान को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि उनकी भूमिका लोकसभा में और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।