Haryana सरकार ने राज्य में लिवर और किडनी के रोगों से पीड़ित लोगों को बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री सैनी(CM Saini) ने मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना(MMMIY) के तहत पात्र रोगियों को 3 लाख रुपये तक की मुफ्त किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट(Kidney-liver transplant) सेवा की मंजूरी दे दी है।
बता दें कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना-आयुष्मान भारत(PMJAY-AB) के तहत भी 3 लाख रुपये के विशेष फिक्स्ड किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट पैकेज बनाने को मंजूरी दी है। यह पैकेज उन मरीजों के ट्रांसप्लांट खर्च को कवर करेगा।स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने इस नई पहल की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि इस कदम से चिह्नित मरीज अब पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस, रोहतक में बिना किसी खर्च की चिंता के किडनी और लिवर प्रत्यारोपण करवा सकेंगे। डॉ. गुप्ता ने बताया कि पहले, एमएमएमआईवाई के तहत किडनी या लिवर प्रत्यारोपण से संबंधित खर्चों को कवर करने का कोई प्रावधान नहीं था, जिससे जरूरतमंद मरीजों को उपचार में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
यह पहली बार है कि किसी सरकारी स्वास्थ्य सेवा संस्थान में इस सुविधा की शुरुआत हो रही है। यह कदम समाज के सबसे कमजोर वर्गों को व्यापक देखभाल प्रदान करने और चिकित्सा सेवाओं तक उनकी पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि इस फैसले का उद्देश्य उन लोगों को जीवन रक्षक चिकित्सा उपचार प्रदान करना है, जिन्हें इसकी सख्त जरूरत है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय बाधाओं के कारण कोई भी व्यक्ति आवश्यक स्वास्थ्य सेवा से वंचित न रहे।
एचडीयू-आईसीयू इकाइयों के लिए 44.1 करोड़ जारी
इसके अलावा मुख्यमंत्री नायब सैनी ने जिला अस्पतालों में बाल चिकित्सा एचडीयू-आईसीयू इकाइयों के लिए 44.1 करोड़ रुपये भी जारी किए हैं। इस राशि में से 38.8 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष 21 इंटेंसिविस्ट, 105 ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर (आईसीयू में प्रशिक्षित), 420 आईसीयू प्रशिक्षित स्टाफ नर्स, सिस्टर, 105 ओटी-एनेस्थीसिया तकनीशियन और 21 काउंसलर की नियुक्ति के लिए होंगे।
रिकॉर्ड के लिए बनेगी अलग विंग
साथ ही आईसीयू के संचालन के लिए नियोजित जनशक्ति से संबंधित रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए एक अलग विंग भी बनाई जाएगी। इस निर्णय के माध्यम से सरकार का उद्देश्य बाल चिकित्सा सेवाओं को भी सुदृढ़ करना है, ताकि बच्चों को भी समय पर और उचित चिकित्सा सहायता मिल सके। इस कदम से राज्य के अस्पतालों में बाल चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा और अधिक बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।