Delhi वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर देश में चल रही गरमागरम बहस के बीच महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपना स्पष्ट और दमदार पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि काम के घंटे बढ़ाने से ज्यादा जरूरी है काम की गुणवत्ता और आउटपुट पर ध्यान देना।
महिंद्रा बोले-मुझे अपनी पत्नी को निहारना पसंद
हाल ही में लार्सन एंड टूर्बो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने सप्ताह में 90 घंटे काम करने की सलाह दी थी, जिससे विवाद शुरू हुआ। उन्होंने सवाल किया था, “घर पर रहकर आप क्या करते हैं? अपनी पत्नी को कितनी देर निहार सकते हैं” सुब्रह्मण्यन ने यहां तक कहा था कि रविवार को भी ऑफिस में काम करवाना चाहिए। उनकी टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं, जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका जैसी हस्तियों ने विरोध जताया। आनंद महिंद्रा ने अपनी बात बड़े ही दिलचस्प अंदाज में रखी। उन्होंनें कहा कि मुझे अपनी पत्नी को निहारना पसंद है। यह मेरे लिए सुकून और प्रेरणा दोनों का स्रोत है।
काम की गुणवत्ता पर जोर
शनिवार को ‘विकसित भारत युवा नेता संवाद 2025’ कार्यक्रम में आनंद महिंद्रा ने कहा कि मुझे लगता है कि यह बहस गलत दिशा में जा रही है। यह 40, 70, या 90 घंटे की बात नहीं है। असली सवाल यह है कि आपके काम का आउटपुट और गुणवत्ता कैसी है। आप सिर्फ 10 घंटे में भी दुनिया बदल सकते हैं। काम की मात्रा पर नहीं, गुणवत्ता पर ध्यान दीजिए।
काम की गुणवत्ता है असली कुंजी
महिंद्रा ने कहा कि वर्क-लाइफ बैलेंस का मतलब यह नहीं है कि आप घंटों की गिनती बढ़ाते रहें। यह काम की गुणवत्ता और उसके आउटपुट पर निर्भर करता है। मुझे अपनी पत्नी और परिवार के साथ समय बिताना भी उतना ही महत्वपूर्ण लगता है। यह मेरे काम को और बेहतर बनाता है।