BEST ACTOR के राष्ट्रीय पुरस्कार से हाल ही में सम्मानिक हुए इस एक्टर ने एक मीडिया हाऊस से बातचीत में अपनी निजी जिंदगी से जुड़े कई बड़े खुलासे किए हैं।साथ ही उन दिनों के बारे में भी खुलकर बातचीत की, जब वो एक ‘स्ट्रग्लिंग एक्टर’ हुआ करते थे। इन सब बातों से आप अंदाजा तो लगा चुके होंगे की हम जिसकी बात कर रहे हैं, वो कोई और नहीं बल्कि हाल ही में BEST ACTOR के नेश्नल अवॉर्ड से नवाजे गए फिल्म ‘कांतारा’ के सुपरस्टार एक्टर ऋषभ शेट्टी हैं।
‘कांतारा’ ने रातों-रात दिलाई शोहरत
ऋषभ शेट्टी, दो साल पहले तक ये नाम सिर्फ साउथ की फिल्म इंडस्ट्री में जाना जाता था। मगर अब पूरा देश इस नाम से वाकिफ है।जिसकी ऑनली क्रेडिट ‘कांतारा’ और खुद ऋषभ को जाता ही है।क्योंकि इसके लिए ही ऋषभ को BEST ACTOR का नेश्नल अवॉर्ड भी मिला है। सिर्फ 16 करोड़ रुपयों में बनाई गई इस फिल्म ‘कांतारा’ ने दुनियाभर में लाजवाब कलेक्शन करते हुए 415 करोड़ की ब्लॉकबस्टर कमाई की।
ऋषभ ‘कांतारा’ के राइटर, डायरेक्टर और एक्टर हैं। सिर्फ 6 फिल्में डायरेक्ट करने वाले ऋषभ को कांतारा ने A1 डायरेक्टर्स की सूचि में ला खड़ा किया है।
पानी बेचकर नसीब होती थी दो वक्त की रोटी
स्टार ऋषभ के लिए ये सब कुछ हालांकि इतना आसान नहीं था। उन्हें सफलता के लिए करीब 20 साल तक लंबा संघर्ष झेलना पड़ा। इसपर बात करेत हुए ऋषभ बोले कि मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक होने के चलते वो अपनी पढ़ाई और गुजारे के लिए माता-पिता को परेशान नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने कई छोटे-मोटे काम किए। उन्होंने पानी की बोतलें और कैन बेचने का काम किया। हालांकि लंबे संघर्ष के बाद ऋषभ को 2022 में सही मायनों में सफलता मिली और आज ये बुलंदियों पर हैं।
6 साल की उम्र से ही बनना चाहते थे ‘एक्टर’
कर्नाटक में 7 जुलाई, 1983 को कांदापुरा, उडुपी जिले में भास्कर शेट्टी और लक्ष्मी शेट्टी के घर एक बेटे का जन्म हुआ जिसका नाम प्रशांत रखा गया।जिसके बाद यही प्रशांत आगे चलकर ऋषभ शेट्टी के तौर पर फैंस के दिलों पर राज कर रह है। कांदापुरा जैसे छोटे से गांव में ही ऋषभ की स्कूली शिक्षा हुई।6 साल की उम्र से ही उनके मन में डांस, एक्टिंग के लिए रूचि जाग गई। फिर उनका एडमिशन B.Com की पढ़ाई के लिए विजया कॉलेज, बेंगलुरु में कराया गया। यहां भी थिएटर प्ले में ऋषभ का ज्यादा मन लगता था। वो यक्षगान (ट्रेडिशनल थिएटर फॉर्म) में परफॉर्म करते थे जहां उन्हें इस टैलेंट के लिए काफी सराहना मिली। इसी सराहना से प्रेरित होकर ऋषभ ने एक्टिंग में करियर बनाने की सोची।
मगर नॉन फिल्मी बैकग्राउंड के चलते ऋषभ को फिल्मी जगत का कोई आइडिया नहीं था। लिहजा उन्होंने काफी रिसर्च के बाद पढ़ाई के साथ-साथ फिल्म डायरेक्शन में डिप्लोमा करने की सोची और ऋषभ ने ‘गवर्नमेंट फिल्म एंड टीवी इंस्टीट्यूट’, बेंगलुरु में एडमिशन ले लिया।
फिल्मों में स्पॉटबॉय के तौर पर की एंट्री
ऋषभ की शुरुआत एक फिल्म के स्पॉटबॉय के तौर पर हुई। वह कुछ फिल्मों में क्लैप बॉय भी रहे। 2006 में उन्हें कन्नड़ फिल्म साइनाइड में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के डायरेक्टर एम.आर. रमेश थे। सेट पर बतौर डायरेक्टर एम.आर. रमेश का डेडिकेशन देखकर ऋषभ प्रभावित हो गए।