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Video: 19 साल की युवती ने फेसुबक पर लाइव की आत्‍महत्‍या, हिमाचल में हडकंप

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➤ सोलन में 19 साल की लड़की ने फेसबुक LIVE पर आत्महत्या कर ली, वीडियो वायरल
➤ ‘ठाकुर दीक्षा’ नामक प्रोफाइल से हुई लाइव स्ट्रीमिंग, बाथू गांव की घटना से क्षेत्र में सनसनी
➤ मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी बनी आत्मघाती कदम की बड़ी वजह, विशेषज्ञों ने जताई चिंता

एक 19 वर्षीय लड़की द्वारा फेसबुक लाइव पर आत्महत्या करने की हृदयविदारक घटना ने पूरे हिमाचल को झकझोर कर रख दिया है। सोलन जिला के बाथू गांव की रहने वाली इस युवती की पहचान ‘ठाकुर दीक्षा’ नामक प्रोफाइल से हुई है। उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सीधा प्रसारण करते हुए अपने कमरे में पंखे से फंदा लगाकर जान दे दी

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घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। वीडियो सोशल मीडिया पर कुछ ही मिनटों में वायरल हो गया, जिससे जनता में आक्रोश और संवेदना दोनों फैल गए हैं।

वीडियो में दिखा दर्द, लेकिन कोई न रोक सका
वीडियो में दीक्षा ने कुछ देर तक इशारों और भावों में अपनी भीतर की पीड़ा को ज़ाहिर किया लेकिन किसी के नाम या वजह का खुलासा नहीं किया। फेसबुक LIVE के दौरान तमाम लोग यह वीडियो देख रहे थे, लेकिन कोई समय रहते हस्तक्षेप नहीं कर सका। जब तक लोग कुछ समझ पाते, सब कुछ खत्म हो चुका था।

मानसिक स्थिति के संकेत पहले से मौजूद?
परिजनों और आसपास के लोगों के अनुसार, दीक्षा बीते कुछ समय से अकेलेपन और तनाव में रह रही थी। पढ़ाई में होशियार और सामान्य दिखने वाली यह लड़की भीतर से किस कदर टूट चुकी थी, इसका अंदाज़ा किसी को नहीं था।

ये वीडियो आपको विचलित कर सकता है, इसलिए पूरा नहीं दिखा रहे

पुलिस जांच के दायरे में सोशल मीडिया अकाउंट
पुलिस अब दीक्षा के फेसबुक चैट, कॉल रिकॉर्ड्स और मोबाइल डेटा की जांच कर रही है ताकि आत्महत्या के पीछे की वजह स्पष्ट हो सके। शुरुआती जांच में किसी प्रत्यक्ष सुसाइड नोट की जानकारी नहीं मिली है।


स्पॉट रिपोर्ट: बाथू गांव में सन्नाटा, पड़ोसी बोले– यकीन नहीं हो रहा

बाथू गांव का माहौल पूरी तरह शोक में डूबा है। जहां कल तक हँसी गूंजती थी, वहां अब मातम पसरा है। स्थानीय निवासी विजय ठाकुर कहते हैं, “वो बहुत शांत और पढ़ाई में अच्छी थी, लेकिन पता नहीं कब और कैसे इतनी तकलीफ में आ गई।” पड़ोस की एक बुजुर्ग महिला ने बताया, “एक बार उसके चेहरे पर उदासी देखी थी, हमने सोचा, यूं ही होगा।”


विशेष विश्लेषण: मानसिक स्वास्थ्य और युवाओं में बढ़ता दबाव

मनोचिकित्सकों का मानना है कि आज के डिजिटल युग में युवा ‘स्मार्टफोन में व्यस्त, लेकिन भावनात्मक रूप से अकेले’ होते जा रहे हैं।

  • साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रियंका शर्मा कहती हैं, “किशोरों और युवाओं में सोशल मीडिया की तुलना, स्वीकार्यता की चाह, और अकेलापन एक मानसिक दलदल बनाता है।”
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म पर LIVE आत्महत्या एक प्रकार का ‘क्राय फॉर हेल्प’ होता है जो दर्शाता है कि व्यक्ति चाहता है कि कोई उसकी पीड़ा सुने, समझे और रोके

क्या कहती हैं रिपोर्ट्स?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक, भारत में हर साल 18 से 30 वर्ष की उम्र के लाखों युवा आत्महत्या कर लेते हैं। इनमें एक बड़ा हिस्सा मनोवैज्ञानिक समस्याओं, असफल प्रेम संबंध, परीक्षा का दबाव या पारिवारिक कलह जैसे कारणों से आत्मघाती कदम उठाता है।


अवगत रहें, सजग रहें: आत्महत्या की प्रवृत्ति को समय रहते पहचानें

  • व्यक्ति अचानक बहुत शांत या बहुत उग्र हो जाए
  • लगातार नींद न आना, भूख न लगना
  • मृत्यु की बातें करना या ज़िंदगी को बेकार बताना
  • दोस्तों, परिवार से दूरी बना लेना
  • सोशल मीडिया पर भावुक या अलविदा जैसे पोस्ट करना

बचाव का रास्ता – आपकी एक बात किसी की जान बचा सकती है

  • बात करें, सुनें, सहारा दें
  • अगर कोई संकेत दिखे, तुरंत काउंसलिंग या मनोचिकित्सक से संपर्क करें
  • हेल्पलाइन नंबर जैसे iCall: +91 9152987821 या Vandrevala Foundation: 1860 266 2345 पर मदद लें
  • युवाओं को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के तरीके सिखाना अनिवार्य है