जून में हिमाचल में लौटी ठंड मनाली का तापमान 11 डिग्री गिरा जानें आगे का मौसम 18

वेंटिलेटर न मिलने से बच्ची की मौत, पिता ने उठाई न्याय की मांग

Breaking News
  • सोनीपत के GH और रोहतक PGIMS पर इलाज में लापरवाही के आरोप, बच्ची के पिता ने पुलिस में दी शिकायत।
  • वेंटिलेटर सपोर्ट न मिलने से एक साल की बच्ची प्रासिता की मौत, आरोप- “सिफारिश लाओ, तभी वेंटिलेटर मिलेगा”।
  • परिवार की पैरवी के लिए समाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता देवेंद्र गौतम आए सामने, न्याय की मांग की।

MedicalNegligence: हरियाणा के सोनीपत में एक साल दो महीने की बच्ची प्रासिता की मौत को लेकर उसके पिता पवन अहिरवार ने इलाज में लापरवाही और वेंटिलेटर उपलब्ध न कराने के आरोपों के साथ सेक्टर-27 थाना पुलिस को शिकायत सौंपी है। उनका आरोप है कि 31 मई 2025 को उनकी बच्ची टब में डूब गई थी, जिसे वह पत्नी नौनी के साथ सिविल अस्पताल, सोनीपत (GH) लेकर पहुंचे। वहां उसे प्राथमिक उपचार तो दिया गया, लेकिन हालात गंभीर होने पर PGIMS रोहतक रेफर कर दिया गया। पवन का दावा है कि उन्होंने CMO से आग्रह किया कि बच्ची की हालत गंभीर है, यहीं इलाज करें, पर उनकी एक न सुनी गई। दोपहर करीब 2 बजे बच्ची को रोहतक PGIMS ले जाया गया, जहां रात 8:30 बजे तक कोई इलाज शुरू नहीं किया गया।

पवन का कहना है कि बच्ची के मुंह और नाक से खून बह रहा था, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि सिविल अस्पताल ने वेंटिलेटर ट्यूब गलत लगाई है। उन्होंने इसे बदलने को कहा, पर नहीं बदला गया। जब उन्होंने वेंटिलेटर देने की मांग की तो जवाब मिला कि “किसी बड़े डॉक्टर की सिफारिश लगवाओ, तभी वेंटिलेटर मिलेगा।” पवन का दर्द है कि उनके बाद आए मरीज को सिफारिश के आधार पर वेंटिलेटर दे दिया गया लेकिन उनकी बेटी बिना इलाज के दम तोड़ गई।

बच्ची के पिता ने न्याय के लिए समाजसेवी और अधिवक्ता देवेंद्र गौतम से साथ देने की गुहार लगाई है। उन्होंने गौतम को पत्र लिखा और कहा कि उनका यहां कोई नहीं है, इसलिए केस की पैरवी वे करें। पवन ने कहा कि वे राजमिस्त्री का काम करते हैं, और कोई बड़ी पहचान नहीं रखते।

Whatsapp Channel Join

इस पर देवेंद्र गौतम ने परिवार को भरोसा दिलाया है कि वे केस की पूरी पैरवी करेंगे और डॉक्टरों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करवाएंगे। उन्होंने कहा कि बेटियां सबकी सांझी होती हैं और प्रासिता भी उनकी बेटी की तरह है। उन्होंने कहा कि GH सोनीपत और PGIMS रोहतक के खिलाफ जांच होनी चाहिए ताकि आगे से किसी गरीब परिवार को इस तरह की असंवेदनशीलता का शिकार न होना पड़े।