राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद की ओर से 13 से 15 सितंबर 2023 को किए गए निरीक्षण के आधार पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को 3.56 के स्कोर से ए प्लस प्लस ग्रेड दिया गया है। यह ग्रेड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर मिला है। जिसको लेकर विश्वविद्यालय परिसर में खुशी की लहर है। विवि परिसर में सुबह से ही बधाइयों का तांता लगा है।
गौरतलब है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्याल हरियाणा स्टेट विश्वविद्यालय में ए प्लस प्लस ग्रेड हासिल करने वाली पहली यूनिवर्सिटी बनी है। हालांकि निजी विश्वविद्यालय की बात करें तो एमएमयू मुलाना अंबाला को ए प्लस प्लस ग्रेड मिल चुका है। बता दें कि राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद द्वारा 13 से 15 सितंबर को किए गए निरीक्षण के आधार पर कुवि को 3.56 के स्कोर से ए प्लस प्लस ग्रेड दिया गया है। यह ग्रेड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए कार्य को देखते हुए दिया गया है। बता दें कि तीन दिवसीय निरीक्षण के बाद नेक टीम का परिणाम तीन चार महीने बाद जारी किया गया है, जो कि 30 फीसदी निरीक्षण और 70 फीसदी विश्वविद्यालय द्वारा जमा करवाए गए दस्तावेजों पर निर्भर करता है।
बता दें कि इससे पहला विश्वविद्यालय वर्ष 2017 से ए प्लस ग्रेड था। अब ए प्लस प्लस ग्रेड मिलने के बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने पत्रकारवार्ता कर सभी शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों को इसका श्रेय दिया है। उनका कहना है कि यह सभी की ओर से किए गए सार्थक प्रयासों का परिणाम है। साथ ही कुलपति ने इसका श्रेय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उच्च शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा को भी दिया है।
इस दौरान कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय है। कुवि ने सर्वप्रथम यूजी प्रोग्राम में पूरे प्रावधानों के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है और पीजी स्तर पर एनईपी को सत्र 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के मद्देनजर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा 19 ऑनलाइन कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। अनुसंधान एवं वैज्ञानिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर एमओयू किए गए हैं। विश्वविद्यालय में शोध को बढ़ावा देने के लिए पेटेंट दर्ज करने के लिए इको सिस्टम विकसित किया गया है। अब तक 63 पेटेंट दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से कुछ पब्लिश व अवॉर्ड हो चुके हैं।