PM मोदी जी से केंद्रीय संसदीय बोर्ड की सदस्य पार्टी की वरिष्ठ नेत्री डॉ. सुधा यादव जी ने सपरिवार भेंट कर उनका आशीर्वाद और स्नेह प्राप्त किया।
उनकी विनम्रता,अटूट समर्पण और जनसेवा की भावना सम्पूर्ण देशवासियों के लिए एक प्रेरणा है। उनका मार्गदर्शन और स्नेह सदैव हमारी प्रेरणा बनेगा।

कौन है सुधा यादव
सुधा यादव के पति सुखबीर सिंह यादव सीमा सुरक्षा बल (BSF) के डिप्टी कमांडेंट थे। कारगिल युद्ध में सीमा पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए वह शहीद हो गए थे। सुधा यादव पेशे से प्रवक्ता हैं। वर्तमान में सुधा बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव हैं। सुधा ने 1987 में रुड़की विश्वविद्यालय से स्नातक किया। जिसे अब आईआईटी रुड़की नाम से जाना जाता है। 2004 में सुधा यादव को महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने अगला चुनाव 2009 में गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र से लड़ा। मगर यहां भी सफलता नहीं मिली। 2015 में सुधा यादव को भाजपा ओबीसी मोर्चा का प्रभारी नियुक्त किया गया था।
राजनीति में ऐसे हुई एंट्री
साल 1999 में सुधा यादव की एंट्री राजनीति में हुई। करगिल युद्ध के बाद 1999 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को हरियाणा में शिकस्त देने के लिए बीजेपी को एक मजबूत उम्मीदवार की जरूरत थी। इस दौरान नरेंद्र मोदी हरियाणा के पार्टी प्रभारी थे, और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनसे महेंद्रगढ़ की लोकसभा सीट पर प्रत्याशी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने डॉ. सुधा यादव का नाम सुझाया। मगर सुधा चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं, सो उन्होंने मना कर दिया। सुधा यादव को मनाने की जिम्मेदारी प्रदेश प्रभारी नरेंद्र मोदी को ही सौंपी।
नहीं लड़ना चाहती थीं चुनाव
सुधा यादव खुद बताती है कि जब उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था तो उस दौरान हरियाणा के प्रभारी नरेंद्र मोदी से फोन पर उनकी बात हुई, उस समय नरेंद्र मोदी ने सुधा से कहा था कि आपकी जितनी जरूरत आपके परिवार को है उतनी ही जरूरत इस देश को भी है। सुधा बताती हैं कि पति की शहादत के बाद उनके लिए वो समय काफी मुश्किल भरा था, ऐसे में चुनाव लड़ने का ख्याल उनके मन में बिल्कुल नहीं था, लेकिन नरेंद्र मोदी की बातों ने उनका मनोबल बढ़ाया और वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गईं।