Haryana में लोकसभा चुनाव का चरण आज शाम को समाप्त हो रहा है और वोटिंग 25 मई को होगी। यहां बीजेपी(BJP) और कांग्रेस के बीच मुकाबला है। भाजपा(BJP) ने 2019 में सभी 10 सीटों को जीता था, लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग दिख रही है। कांग्रेस को भी इस बार अच्छा प्रदर्शन की संभावना है। वहीं अभी वोटिंग का दिन शेष है और किसानों-जाटों की नाराजगी से रिजल्ट में बदलाव भी देखने को मिल सकता हैं।
बता दें कि पॉलिटिकल विश्लेषक डॉ. रामजी लाल और आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज सैनी का कहना है कि हरियाणा में पिछले कुछ सालों में सत्ताविरोधी विचारधारा मजबूत हो रही है, लेकिन भाजपा फिर भी मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभर रही है। वोटिंग से 48 घंटे पहले तक का मौसमी हाल, प्रचार, उम्मीदवार, चुनाव प्रबंधन, और जातिगत समीकरणों का विश्लेषण दिखाता है कि भाजपा 7 से 10 सीटों पर आगे दिख रही है, जबकि कांग्रेस 2 से 3 सीटों पर। अगर ग्रामीण क्षेत्र में जाट और किसानों का विरोध ज्यादा हो, तो कांग्रेस के लिए अच्छे नतीजे हो सकते हैं। जब तक भाजपा के रणनीतिकार अंतिम 48 घंटों में माहौल को संभाल लेते हैं, तब तक पार्टी के लिए सकारात्मक नतीजे की संभावना है।
लोकसभा चुनाव की तारीखों के साथ चारों ओर जोर-शोर सा है। इस दौरान हरियाणा के चुनावी मंच पर कई बदलाव दिख रहे हैं। भाजपा राज्य की सभी 10 और कांग्रेस 9 सीटों पर लड़ रही है। कांग्रेस ने कुरुक्षेत्र सीट I.N.D.I.A. अलायंस में शामिल आम आदमी पार्टी (AAP) को दी है। 2019 में भाजपा को कुल 58.02% वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 28.42% वोट मिले थे। युवा चेतना संस्था के अनुसार कांग्रेस को इस बार अधिक वोट प्राप्त करने की जरूरत है, लेकिन यह मुश्किल हो सकता है, क्योंकि 17% का वोट स्विंग बहुत बड़ा है।
इनेलो, जेजेपी और बीएसपी प्रदर्शन कमजोर
पहली बार चुनाव लड़ रही जननायक जनता पार्टी (JJP) को 4.9% वोट मिले थे, जबकि बसपा को 3.65% वोट मिले थे। इसके बावजूद, कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ जीतने के लिए अधिक वोट चाहिए। राजनीतिक विश्लेषक डॉ. वीरेंद्र भारत के मुताबिक हरियाणा में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा है, लेकिन कांग्रेस को अधिक वोट प्राप्त करने की जरूरत है। इस बार के चुनाव में इनेलो, JJP और BSP का प्रदर्शन कमजोर हो सकता है, जिससे कांग्रेस-भाजपा में मुकाबला बढ़ सकता है।
विधानसभा चुनाव कराने का रिस्क नहीं
हरियाणा के लोगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्थान पर हरियाणा सरकार के काम के खिलाफ ज्यादा नाराजगी है। यह बात भाजपा ने भी महसूस की है, लेकिन उन्होंने विधानसभा चुनाव कराने का रिस्क नहीं लिया। लेकिन लोकसभा चुनाव में वोटर्स का गुस्सा भाजपा को झेलना पड़ रहा है। अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा की उम्मीदों के विपरीत हैं, तो यह हरियाणा सरकार के लिए कठिन हो सकता है।