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पार्टी पहले ही शून्य पर है और अब तो पाताल में चली जाएगी ..किरण ने कसा तंज तो अनिरुद्ध बोले-गणित कमजोर है

हरियाणा की बड़ी खबर

➤ बंसीलाल के पौत्र अनिरुद्ध चौधरी को मिला भिवानी ग्रामीण कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद
➤ भाजपा सांसद किरण चौधरी ने लगाया भाई-भतीजावाद का आरोप
➤ चाची-भतीजे की सियासी तकरार से बंसीलाल परिवार फिर सुर्खियों में



हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर बंसीलाल परिवार सुर्खियों में आ गया है। कांग्रेस हाईकमान ने 11 साल बाद जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की है, जिसमें भिवानी ग्रामीण इकाई की कमान पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के पौत्र और रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को सौंप दी गई। इस नियुक्ति के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है, क्योंकि बंसीलाल की पुत्रवधू और भाजपा की राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए इसे भाई-भतीजावाद करार दिया।

किरण चौधरी स्वतंत्रता दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भिवानी पहुंची थीं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कांग्रेस के संगठनात्मक फेरबदल पर तंज कसते हुए कहा कि पार्टी पहले ही शून्य पर है और अब तो पाताल में चली जाएगी। उन्होंने कहा कि जब राजनीति देशहित से अलग होकर परिवारवाद के सहारे चलती है, तो यह लोकतंत्र के लिए सबसे बुरी बात होती है। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस 9-10 महीने बाद भी न तो नेता प्रतिपक्ष चुन पाई है और न ही प्रदेश अध्यक्ष।

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इधर, नवनियुक्त जिलाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने अपनी चाची को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि किरण चौधरी का गणित कमजोर है। अनिरुद्ध का कहना है कि कांग्रेस छोड़ने वालों ने पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए घुटन का माहौल बना दिया था और अब उनके जाने से कार्यकर्ताओं ने राहत की सांस ली है। उन्होंने दावा किया कि अब कांग्रेस कार्यकर्ता एकजुट होकर मजबूती से पार्टी को आगे बढ़ाएंगे।

बंसीलाल की विरासत पर भी अनिरुद्ध ने अपनी बात साफ रखी। उन्होंने कहा, “मेरी रगों में चौधरी बंसीलाल का खून दौड़ रहा है और मैं हमेशा खुद को उनका छात्र मानता हूं। उनसे मिली सीख ही मेरी राजनीतिक दिशा है।”

दरअसल, यह पहली बार नहीं है जब परिवार के भीतर टकराव खुलकर सामने आया हो। पिछले साल कांग्रेस ने तोशाम विधानसभा सीट से अनिरुद्ध को टिकट दिया था, जबकि भाजपा ने उनके सामने किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को उतारा। इस सीट पर श्रुति ने जीत हासिल की और इस समय वह हरियाणा कैबिनेट में मंत्री हैं।

इतना ही नहीं, इससे पहले अस्पताल में ओपीडी शुरू करवाने को लेकर भी किरण और अनिरुद्ध के बीच जुबानी जंग हो चुकी है। यहां तक कि 1998 के लोकसभा चुनाव में बंसीलाल के बेटे रणबीर महेंद्रा और सुरेंद्र सिंह भी आमने-सामने थे। उस समय सुरेंद्र सिंह ने जीत दर्ज कर अपने पिता की राजनीतिक पकड़ मजबूत की थी।

अब एक बार फिर घर की यह अंदरूनी खींचतान प्रदेश की राजनीति में चर्चा का विषय बन गई है। बंसीलाल की विरासत पर दावा करने वाले परिवार के दो धड़े कांग्रेस और भाजपा में बंटकर आमने-सामने हैं। यही वजह है कि हरियाणा की सियासत में बंसीलाल परिवार फिर से सुर्खियों में आ गया है।