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हरियाणा में 1 अगस्त से प्रॉपर्टी खरीदना होगा महंगा! जानें वजह

हरियाणा की बड़ी खबर

हरियाणा में 1 अगस्त से लागू होंगे नए कलेक्टर रेट, प्रॉपर्टी खरीदना-बेचना होगा महंगा

राज्य के खजाने को होगा फायदा, पर आम आदमी की जेब पर बढ़ेगा बोझ; 5 से 25% बढ़ोतरी का प्रस्ताव

पिछले साल 12 से 32% की वृद्धि हुई थी, इस बार तीन माह की देरी के बाद सीएम नायब सैनी ने दी मंजूरी

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हरियाणा में 1 अगस्त से नए कलेक्टर रेट लागू किए जाएंगे, जिससे राज्य में प्रॉपर्टी खरीदना और बेचना और अधिक महंगा हो जाएगा। यह निर्णय मुख्यमंत्री नायब सैनी के अधीन रेवेन्यू डिपार्टमेंट की ओर से सभी मंडलों के कमिश्नर और उपायुक्त को दे दिए गए हैं।

पिछले साल 1 जनवरी और 1 दिसंबर को नए कलेक्टर रेट लागू किए गए थे, जो इस साल 30 मार्च तक मान्य थे। मार्च 2025 के बाद से अब तक पिछले रेटों पर ही रजिस्ट्रियां हो रही थीं, जिससे सरकार के राजस्व को नुकसान हो रहा था। अब 2025-26 के लिए 1 अगस्त से नए कलेक्टर रेट के हिसाब से ही जमीनों की रजिस्ट्रियां होंगी। सरकार के इस कदम से राज्य का खजाना तो भरेगा, मगर आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ना तय है।

नए कलेक्टर रेट के लिए विभिन्न स्थानों पर 5 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। पिछले साल, पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते 1 दिसंबर को ही नए कलेक्टर रेट लागू किए जा सके थे।


पिछले साल की बढ़ोतरी और इस बार की देरी

देश की राजधानी दिल्ली के नजदीक होने के कारण एनसीआर में जमीन बहुत अधिक महंगी है, इसलिए वहां कलेक्टर रेट बाकी जिलों से काफी अधिक हैं। पिछले साल जमीन के कलेक्टर रेट 12 से 32 प्रतिशत तक बढ़ाए गए थे। रोहतक, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, बहादुरगढ़, सोनीपत, करनाल और पानीपत में 20 प्रतिशत और गुरुग्राम, सोहना, फरीदाबाद, पटौदी और बल्लभगढ़ के कलेक्टर रेट में 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गई थी।

हरियाणा में 2025-26 के लिए कलेक्टर दरों में बढ़ोत्तरी नहीं हो सकी थी। करीब तीन माह पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी की अध्यक्षता में संशोधन को लेकर बैठक हुई थी, मगर सीएम ने संशोधन को स्थगित कर दिया था। कहा गया था कि पहले की दरें ही इस साल लागू रहेंगी, और राजस्व विभाग ने आदेश भी जारी कर दिए थे। साथ में ये भी जोड़ा गया था कि राज्य में प्रॉपर्टी के लेन-देन और स्टांप शुल्क कलेक्शन को प्रभावित करने वाली मौजूदा दरें अगले आदेश तक लागू रहेंगी।

कलेक्टर रेट में बढ़ोतरी को लेकर कुछ जिलों ने स्वयं ही 10 से 25 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिश करते हुए प्रस्ताव तैयार कर लिए थे। यहां तक ​​कि इन दरों को अपलोड करके सार्वजनिक आपत्तियां भी आमंत्रित करने की तैयारी कर ली थी, जबकि सरकार द्वारा ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मांगी गई थी। सूत्रों ने बताया कि कलेक्टर दरों में संशोधन को स्थगित करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि पिछली बार संशोधन 4 महीने पहले ही हुआ था। 2024 में लोकसभा चुनाव के कारण अप्रैल में वार्षिक संशोधन स्थगित कर दिया गया था। चुनाव समाप्त होने के बाद भी दरों में संशोधन नहीं किया जा सका था, क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव अगस्त में घोषित हो गए थे। नई सरकार ने अक्टूबर में कार्यभार संभाला और कलेक्टर दरों में संशोधन पिछले साल दिसंबर 2024 में ही किया था।


क्या हैं कलेक्टर रेट और कौन तय करता है?

जमीनों की खरीद फरोख्त को लेकर कलेक्टर रेट बेहद अहम होता है। यह किसी भी जिले में जमीन की न्यूनतम कीमत है, जिस पर कोई रियल एस्टेट प्रापर्टी खरीदार को बेची जा सकती है। अलग-अलग स्थानों पर वहां के हालात और मार्केट रिसर्च के बाद ही वैल्यू कमेटी अपनी रिपोर्ट देती है। इस पर अंतिम फैसला राजस्व विभाग और राज्य सरकार ही लेती है।

रेट तय होने के बाद इससे कम में जमीन की रजिस्ट्री आदि नहीं हो सकती। यह रेट निर्धारित होने से पहले इसमें बड़ा गोलमाल और खेल हुआ करता था, जिस पर कलेक्टर रेट निर्धारित होने के बाद काफी हद तक रोक लग गई है। यह रेट हर साल तय करने का फैसला राज्य सरकार की ओर से लिया गया था। पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों से पूरे प्रदेश में एक समान पद्धति बनाने को कहा था, जिसके बाद से यह नीति अमल में लाई गई। जमीन के कलेक्टर रेट किसी भी जिले में स्थानीय प्रशासन तय करता है। यह अलग-अलग शहर के अलग-अलग इलाकों में जमीन की बाजार कीमत के आधार पर तय किया जाता है। कलेक्टर रेट समय-समय पर बदलता रहता है, जो स्थान और बाजार के रुझान पर निर्भर करता है।