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गब्‍बर के नाक तले बड़ा घोटाला, जानें

हरियाणा की बड़ी खबर


➤ श्रम मंत्री अनिल विज के विभाग में वर्क स्लिप वेरिफिकेशन में सामने आई भारी गड़बड़ी

➤ एक ग्राम सचिव ने एक दिन में किए 2646 सत्यापन, विज ने जताया शक

➤ छह जिलों में फर्जी कामगारों के नाम पर करोड़ों की लूट, विज ने दिए सस्पेंशन व क्रिमिनल केस के आदेश


हरियाणा के ताकतवर मंत्री माने जाने वाले अनिल विज, जिन्हें उनकी तीखी शैली और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के चलते ‘गब्बर’ कहा जाता है, अब खुद उनके श्रम विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यह घोटाला वर्क-स्लिप वेरिफिकेशन घोटाले के रूप में सामने आया है, जिसमें छह जिलों में करोड़ों रुपए के सरकारी लाभ को फर्जी श्रमिकों के नाम पर बांट दिया गया।

जांच में सामने आया कि कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने वर्क स्लिप वेरिफिकेशन के नाम पर मिनटों में हजारों श्रमिकों की फर्जी एंट्री कर डाली। हरियाणा के हिसार, कैथल, जींद, सिरसा, फरीदाबाद और भिवानी जिलों में इस घोटाले की पुष्टि हुई है। इसके बाद कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने दोषी कर्मचारियों को सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं और क्रिमिनल केस दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

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श्रम मंत्री विज ने DBT के तहत दी जाने वाली सभी पेमेंट को तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश जारी किए हैं और कहा है कि जब तक फिजिकल वेरिफिकेशन पूरा नहीं हो जाता, तब तक कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।

कैसे हुआ घोटाले का खुलासा

21 अप्रैल 2025 को कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक में अनिल विज की अध्यक्षता में यह मुद्दा सामने आया। बताया गया कि अगस्त 2023 से मार्च 2025 तक 11 लाख 96 हजार से अधिक वर्क स्लिप का वेरिफिकेशन किया गया था। इसमें से सिर्फ हिसार जिले में 1.45 लाख से ज्यादा स्लिप वेरिफाई की गईं।

ग्राम सचिव राजेंद्र सिंह ने अकेले ही 84,741 वर्क स्लिप वेरिफाई कर दीं, जिनमें से 2646 वेरिफिकेशन एक दिन में किए गए। यही नहीं, फरीदाबाद के श्रम निरीक्षक ने भी एक दिन में 2702 स्लिप वेरिफाई कर दीं। विज को यह पूरी प्रक्रिया संदिग्ध लगी और उन्होंने मौके पर ही जांच कमेटी बना दी।

इस कमेटी में संयुक्त सचिव अजमेर सिंह देसवाल, सचिव सुनील ढिल्लों और मेंबर भूपिंदर शर्मा को शामिल किया गया। तीन माह की जांच में इन छह जिलों में फर्जी वर्क स्लिप, बोगस लाभार्थियों और सिस्टम की मिलीभगत के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं।

क्या है आगे की कार्रवाई

अनिल विज ने सभी जिलों के डीसी को आदेश दिए हैं कि वे तीन सदस्यीय कमेटी गठित करें, जिसमें एक श्रम विभाग का प्रतिनिधि और दो स्वतंत्र राजपत्रित अधिकारी हों। ये टीम हर गांव और शहर में जाकर फिजिकल वेरिफिकेशन करेंगी और रिपोर्ट तीन माह में सौंपेंगी।

इस घोटाले के पीछे करोड़ों रुपये के सरकारी फंड की हेराफेरी का अंदेशा है, जो कथित फर्जी मजदूरों को DBT के माध्यम से दिया गया। विज ने साफ कहा है कि इस मामले में कोई बख्शा नहीं जाएगा और कार्रवाई आपराधिक केस स्तर तक जाएगी।