- पीजीआई रोहतक में वेंटिलेटर न मिलने से एक साल की मासूम की दर्दनाक मौत, 8 घंटे तक पिता खुद देता रहा ऑक्सीजन
- मध्यप्रदेश के मजदूर परिवार की बेटी प्रियनसीता सोनीपत से रोहतक रैफर हुई थी, पर इलाज में हुई घोर लापरवाही
- माँ-बाप की अपील – दोषियों को मिले सजा, वीडियो वायरल, प्रशासन पर उठे सवाल
PGI Rohtak negligence: हरियाणा के रोहतक पीजीआई में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही एक मासूम की जान ले बैठी। मध्यप्रदेश के रहने वाले मजदूर पवन हरवार की एक साल की बेटी प्रियनसीता की मौत इसलिए हो गई क्योंकि उसे 8 घंटे तक वेंटिलेटर नहीं मिला। बच्ची की हालत नहाते वक्त पानी के टब में डूबने के बाद बिगड़ी थी। उसे सोनीपत सिविल अस्पताल से पीजीआई रोहतक रैफर किया गया, लेकिन वहां कोई वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं था।
बेबस पिता पवन हरवार ने 8 घंटे तक अपनी मासूम को खुद हाथों से ऑक्सीजन देकर ज़िंदा रखने की कोशिश की, लेकिन वह उसकी जान नहीं बचा सके। पीड़ित परिजनों ने बताया कि उन्होंने डॉक्टरों से कई बार मिन्नतें कीं, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। पीड़िता की मां नोनी हरवार ने भावुक होकर कहा, “अगर हम गरीब न होते, तो हमारी बेटी आज जिंदा होती। वक़्त पर वेंटिलेटर मिल जाता तो ये हादसा न होता।”
प्रियनसीता की मौत के बाद सोशल मीडिया पर भावुक वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें मां-बाप की तड़प और बेबसी साफ दिखाई दे रही है। प्रशासन पर अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर समय पर वेंटिलेटर की सुविधा दी जाती तो मासूम की जान बच सकती थी।
पवन हरवार, जो कि एक राजमिस्त्री हैं और अपने परिवार सहित सोनीपत में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, ने बताया कि हादसे के तुरंत बाद बच्ची को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उसे पीजीआई रैफर कर दिया गया था, लेकिन वहां एक भी वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं था।
पुलिस अधिकारी पवन कुमार ने बताया कि मामला बच्ची के पानी में डूबने का है। पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की जा रही है और शिकायत दर्ज की जा चुकी है। लेकिन बच्ची के माता-पिता का साफ कहना है कि ये सिर्फ एक हादसा नहीं, सिस्टम की नाकामी है।