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38वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला संपन्न, कला और संस्कृति का दिखा अनूठा संगम

हरियाणा फरीदाबाद

38वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला आज हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया। केंद्रीय ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए कहा कि यह मेला केवल शिल्प और सामान की बिक्री तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की समृद्ध संस्कृति, खानपान और परंपराओं का जीवंत संगम है। उन्होंने इस मेले को कला और शिल्प का महाकुंभ करार दिया।

हरियाणा को अंतरराष्ट्रीय पहचान

मनोहर लाल ने कहा कि 2015 में सूरजकुंड मेले को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करने के बाद इसमें 20 देशों की भागीदारी हुई थी, जो अब बढ़कर 44 हो गई है। उन्होंने कहा कि सूरजकुंड शिल्प मेला और कुरुक्षेत्र अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती समारोह हरियाणा को वैश्विक पहचान दिला रहे हैं।

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संस्कृति का अनूठा संगम

पर्यटन मंत्री डा. अरविंद कुमार शर्मा ने कहा कि यह मेला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत” के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मेले में 18 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे, जो पिछले वर्ष के 13 लाख से कहीं अधिक है।

इस मेले में 1200 स्टॉल लगाए गए, जिनका आवंटन पारदर्शी ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से किया गया। यहां दक्षिण भारत की इडली-डोसा से लेकर हरियाणा के बाजरे की खिचड़ी तक विभिन्न व्यंजनों का स्वाद पर्यटकों ने लिया।

शिल्पियों को मिला सम्मान

समापन समारोह में कला रत्न पुरस्कार से कई शिल्पियों को सम्मानित किया गया, जिनमें आंध्र प्रदेश की डी. शिवम्मा, गुजरात के मगन भाई, श्रीलंका के ईएडब्ल्यू पुष्पकुमारा, आर्मेनिया के अर्मेन खासतियान और जिम्बाब्वे के टेंबा मलंगा शामिल रहे।

एक भारत, श्रेष्ठ भारत की झलक

कार्यक्रम में कोरियोग्राफर संजय शर्मा द्वारा तैयार “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसमें भारत के सभी राज्यों की लोक संस्कृति को सुंदर तरीके से प्रदर्शित किया गया।

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