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सहपाठी की हत्‍या का मामला: नन्ही उम्र, बड़ा अपराध, मासूम चेहरों के पीछे छिपा आक्रोश और घर में हथियार: जिम्मेदारी किसकी?

हरियाणा
  • किशोरों में असंयमित क्रोध, अपराजेय प्रतिशोध की भावना और हथियारों की पहुंच घातक नतीजों तक पहुंचा सकती है
  • नाबालिगों के हाथों में घातक हथियार आना समाज, परिवार और कानून की सामूहिक विफलता का संकेत है
  • छोटे स्कूल विवाद का साल भर दबा रहना और फिर हिंसक प्रतिशोध में बदल जाना मानसिक स्वास्थ्य की घोर उपेक्षा को दर्शाता है

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण: सातरोड खुर्द, हरियाणा में हुई हृदयविदारक घटना, जिसमें एक 14 वर्षीय छात्र ने अपने ही समवयस्क मित्र की गोली मारकर हत्या कर दी, केवल एक आपराधिक मामला नहीं बल्कि किशोर मानसिकता की गहरी दरार का उदाहरण है। यह केवल दो बच्चों के बीच बैठने के विवाद से शुरू हुई बात नहीं थी, यह उन सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक तनावों की लंबी श्रृंखला का परिणाम है, जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं…….

चिकित्‍सक डा अनूप कुमार के अनुसार एक साल पहले का विवाद, एक चुप्पी, एक गहरी टीस, एक लापरवाही, और एक बंदूक — इन सबने मिलकर दो परिवारों की पूरी उम्र को गहरे शोक में बदल दिया। किशोरों के भीतर के तूफानों को वक्त रहते समझने और थामने की आवश्यकता है, वरना ऐसी घटनाएं केवल आंकड़ों में नहीं, हमारे समाज के ज़ख्मों में जुड़ती रहेंगी।

उनें अनुसार किशोरावस्था में मस्तिष्क का प्रि-फ्रंटल कॉर्टेक्स पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता, जो निर्णय, आत्मनियंत्रण और दूरदृष्टि जैसी क्षमताओं के लिए उत्तरदायी होता है। ऐसे में क्रोध और अपमान की भावना को ये युवा बिना फिल्टर के, पूरी तीव्रता के साथ महसूस करते हैं। हत्यारे किशोर ने स्कूल डेस्क पर बैठने की एक साल पुरानी घटना को गंभीर अपमान के रूप में लिया और तब से इसे संजोए रखा।

यह मानसिक प्रक्रिया rumination कहलाती है — अर्थात, लगातार एक ही विचार पर ध्यान केंद्रित करना, जो धीरे-धीरे आक्रोश और प्रतिशोध की भावना को जन्म देता है।

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परिवार और हथियारों की पहुंच

बच्चे ने अपने दादा की लाइसेंसी डोगा बंदूक का प्रयोग किया। यह घटनाक्रम एक और खतरनाक प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है: परिवारों में रखे हथियारों तक बच्चों की आसान पहुंच। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हम अपने बच्चों के साथ ऐसे उपकरणों की उपस्थिति की गंभीरता पर चर्चा करते हैं? क्या बच्चों को सिखाया जाता है कि हथियार सिर्फ रक्षा के लिए होते हैं, आक्रमण के लिए नहीं? इस किशोर ने अपनी भावनाओं को किसी के साथ साझा नहीं किया, न ही अभिभावकों, न ही शिक्षकों के साथ। जब दीक्षित के माता-पिता ने शिकायत की तो वह अपमान और क्रोध की गहराई में डूब गया। यही वह बिंदु था जहां भावनात्मक मदद की सख्त आवश्यकता थी। यदि स्कूल, परिवार या समुदाय में कोई मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ होता या संवाद की खुली व्यवस्था होती, तो शायद यह घटना रोकी जा सकती थी।

यह घटना बताती है कि किशोरों के बीच क्रोध प्रबंधन, संवाद कौशल, सहिष्णुता और भावनात्मक शिक्षण की कितनी आवश्यकता है। स्कूल में “Life Skills Education” और “Mental Health Sessions” सिर्फ औपचारिकता नहीं, आज की अनिवार्यता बन चुके हैं।


यह मामला समाज के हर हिस्से — परिवार, स्कूल, प्रशासन को यह सोचने पर मजबूर करता है कि कहीं हम बच्चों को मूल्य नहीं, केवल प्रतिस्पर्धा, हठ और अधिकार सिखा रहे हैं?
ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय अत्यावश्यक हैं:

  1. स्कूलों में मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं की नियुक्ति अनिवार्य की जाए।
  2. परिवारों को संवेदनशील बनाया जाए कि वे बच्चों के क्रोध, हठ, चुप्पी या अलगाव को हल्के में न लें।
  3. हथियारों की बच्चों से दूरी सुनिश्चित की जाए और शस्त्र अधिनियमों को और कठोरता से लागू किया जाए।
  4. किशोर न्याय प्रणाली में मानसिक स्वास्थ्य विश्लेषण को शामिल किया जाए।
  5. सामाजिक स्तर पर “युवा संवाद मंच” बनाए जाएं जहां किशोर अपनी भावनाएं खुलकर रख सकें।

क्या है मामला

हरियाणा के हिसार जिले के गांव सातरोड खुर्द में वीरवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां 14 वर्षीय एक किशोर ने अपने ही हमउम्र दोस्त दीक्षित की गोली मारकर हत्या कर दी। यह हत्या एक साल पुराने स्कूल विवाद की वजह से हुई, जिसमें डेस्क पर बैठने को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ था। दीक्षित के माता-पिता उस वक्त आरोपी किशोर के घर शिकायत लेकर गए थे, जिससे आरोपी ने मन ही मन बदला लेने की ठान ली थी। गुरुवार सुबह आरोपी किशोर ने अपने दादा की लाइसेंसी डोगा बंदूक उठाई और बाइक से मस्तनाथ कॉलोनी निवासी दीक्षित को फोन करके मिलने बुलाया। दीक्षित दूध लेने निकला था और उसी दौरान आरोपी ने उसका पीछा किया और रेलवे स्टेशन के पास कच्चे रास्ते में ले जाकर गोली चला दी। दीक्षित को दो गोलियां कमर में लगीं जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हत्या के बाद आरोपी फरार हो गया। फोरेंसिक टीम और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की और आरोपी किशोर व उसके माता-पिता पर कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है। मृतक दीक्षित का आज पोस्टमॉर्टम किया जाएगा।