arjun chautaala ka kaangres par tanj, aage ek-doosare par chappalen phainkane ka bhee karenge kaam

अर्जुन चौटाला का कांग्रेस पर तंज, आगे एक-दूसरे पर चप्पलें फैंकने का भी करेंगे काम, शाहाबाद में दिया सम्मान रैली का न्योता

कुरुक्षेत्र राजनीति हरियाणा

इंडियन नेशनल लोकदल के युवा नेता अर्जुन चौटाला ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला समर्थनों के बीच हुई झाड़ पर तंज कसा है। चौटाला ने कहा कि यह तो अभी कांग्रेस की शुरूआत है। आगे-आगे यह एक दूसरे पर चप्पलें फैंकने का काम भी करेंगे। उन्होंने कहा कि देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री ताउ देवीलाल की जयंती 25 सितंबर को कैथल में आयोजित की जाएगी। इनेलो के कार्यकर्ता और पदाधिकारी प्रदेशभर के गांव-गांव और घर-घर जाकर लोगों को न्योता दे रहे हैं।

अर्जुन चौटाला शाहाबाद के विभिन्न गांवों के दौरे के दौरान ग्रामीणों को संबोधित कर रहे थे। ताउ देवीलाल की जयंती पर होने वाली सम्मान रैली को लेकर अर्जुन चौटाला ने करीब दर्जनभर गांवों का दौरान लोगों से संपर्क साधा। साथ ही 25 सितंबर को होने वाली सम्मान रैली का न्योता दिया। इस दौरान उनके साथ इनेलो के जिलाध्यक्ष बूटा सिंह मौजूद रहे। बता दें कि इनेलो के प्रधान महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला की ओर से परिवर्तन पदयात्रा के समापन पर इसी दिन राज्य स्तरीय रैली का आयोजन किया जा रहा है।

भाजपा वालों के हाथ में है हुड्डा और कुछ कांग्रेसियों की बागडोर

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इस दौरान अर्जुन चौटाला ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस एक ऐसा संगठन है, जो आज धीरे-धीरे खत्म हो चुका है। इनकी आपस की लड़ाई खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। कांग्रेस के कुछ लोगों की बागडोर भाजपा वालों के हाथों में है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की डोर भी भाजपा के हाथ में है। यह वे लोग हैं, जो आपास में लड़कर एक-दूसरे को खत्म कर रहे हैं।

एक देश एक चुनाव वाली बात कहना आसान, अमल में लाना मुश्किल

इनेलो युवा नेता ने एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर कहा कि यह बात कहने में बड़ी आसान है, लेकिन इसे अमल में लाना बड़ा मुश्किल है। केंद्र की मोदी सरकार को यह भी देखना चाहिए कि इसमें प्रजातंत्र को तो कोई नुकसान नहीं है। जब हरियाणा बना, तब भी एक देश एक चुनाव होता था। अगर किसी वजह से किसी राज्य सरकार गिरती है तो दोबारा से चुनाव करवाए जाएंगे। फिर दो साल बाद फिर से चुनाव होंगे। यह बातें कहने में ठीक लगती है, लेकिन इसके लिए पूरे संविधान को बदलना पड़ता है। यह होना बेहद मुश्किल है।