● रोहतक में सब-इंस्पेक्टर ने 50 हजार की रिश्वत गूगल पे के जरिए ली
● कैथल में नगर परिषद के जेई और मैनेजर को 25 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा गया
● डिजिटल पेमेंट का दुरुपयोग कर रहे भ्रष्ट अधिकारी, एंटी करप्शन ब्यूरो ने की कार्रवाई
Haryana Bribery Scam: हरियाणा में भ्रष्टाचार के दो मामले सामने आए हैं, जहां रिश्वतखोरी के नए-नए तरीके देखने को मिल रहे हैं। रोहतक जिले के लाखनमाजरा थाने में तैनात एक सब-इंस्पेक्टर ने रिश्वत का आधा हिस्सा गूगल पे के जरिए , वहीं कैथल में नगर परिषद के एक जूनियर इंजीनियर (जेई) और एक मैनेजर को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 25 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
रोहतक में एक सब-इंस्पेक्टर ने एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी, जिसमें से 50 हजार रुपये उसने डिजिटल माध्यम से यानी गूगल पे के जरिए ले लिए। यह एक नया ट्रेंड बनता जा रहा है, जहां भ्रष्ट अधिकारी अब नकद लेने के बजाय ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए रिश्वत स्वीकार कर रहे हैं ताकि पैसे की गिनती और रखरखाव से बचा जा सके।
सूचना मिलते ही एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की रोहतक-हिसार टीम ने तत्काल कार्रवाई की और सब-इंस्पेक्टर को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।
कैथल में नगर परिषद के जेई तरुण और मैनेजर विशाल गुप्ता को एंटी करप्शन ब्यूरो अंबाला की टीम ने 25 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा। आरोपियों ने एक लाभार्थी से प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) का लाभ देने के बदले 50 हजार रुपये की मांग की थी।
पीड़ित व्यक्ति गुरबचन सिंह चार साल से इस योजना का लाभ पाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन रिश्वत न देने के कारण उसकी फाइल हर बार किसी न किसी बहाने से रिजेक्ट कर दी जाती थी। इस बार, जब उसकी पहली किस्त मंजूर हुई, तो अधिकारियों ने उससे 25 हजार रुपये मांगे।
पीड़ित ने एंटी करप्शन ब्यूरो को सूचित किया, जिसके बाद योजना बनाकर उसे नगर परिषद कार्यालय भेजा गया। लेकिन जेई और मैनेजर ने वहां पैसे लेने से इनकार कर दिया और उसे शहर के एक रेस्टोरेंट में बुलाया। जैसे ही उन्होंने पैसे स्वीकार किए, ACB की टीम ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया।
अब तक रिश्वतखोरी को नकदी लेन-देन से जोड़कर देखा जाता था, लेकिन डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म जैसे गूगल पे और पेटीएम का दुरुपयोग बढ़ रहा है। साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि डिजिटल ट्रांजैक्शन का पूरा रिकॉर्ड रहता है, जिससे भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसना आसान हो सकता है।
एंटी करप्शन ब्यूरो यह भी जांच कर रहा है कि क्या इस भ्रष्टाचार में अन्य अधिकारी भी शामिल थे और कितने अन्य लाभार्थियों से रिश्वत ली गई थी। इसके साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि डिजिटल माध्यम से किए गए अन्य भ्रष्टाचार के मामलों में किस तरह की कार्रवाई की जा सकती है।