Farmers protest on Rohtak Jind road, shouting slogans against the government

Rohtak-जींद मार्ग पर किसानों का धरना प्रदर्शन, सरकार के खिलाफ जमकर कर रहें नारेबाजी

जींद बड़ी ख़बर रोहतक हरियाणा

हरियाणा के रोहतक-जींद मार्ग पर गांव टिटौली के पास किसानों ने दिल्ली कूच के आह्वान पर धरना शुरू कर दिया है। इस दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। धरने का नेतृत्व कर रहे कुंडू खाप के प्रधान जयवीर कुंडू ने कहा कि पीछे से आ रहे किसानों का इंतजार किया जा रहा है उनके आने तक यहां पर ही धरना रखेंगे। उनके साथ दिल्ली जाएंगे।

उन्होंने शांति पूर्वक धरना देने व शांति से दिल्ली कूच का फैसला ले रखा है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं। जो मांग पिछले दिनों किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने मान ली थी लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया गया। इसलिए किसानों ने दिल्ली कूच करने का फैसला किया है। वहीं पुलिस प्रशासन द्वारा भी किसानों को रोकने के लिए प्रयास किए गए है। प्रशासन सख्ती से निपटने के मूड़ में है। जिला मजिस्ट्रेट अजय कुमार ने अपराध प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 23 (2) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए विभिन्न किसान यूनियनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से पुलिस अधिकारियों के साथ ड्यूटी मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की है।

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क्या हैं किसानों की मांगें?

आंदोलन में शामिल हो रहे किसान और संगठनों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द एमएसपी पर कानून बनाए और इसे लागू करे। मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम और 700 रुपये दिहाड़ी दी जाए। इसके अलावा किसानों ने डॉ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, किसान कर्ज माफी, बिजली कानून 2020 को रद्द करने, पिछले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय देने की मांग की है।

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दूसरे किसान आंदोलन की असली वजह

पिछले किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ-साथ किसानों से कई वादे किए थे। सरकार ने उस समय फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी देने पर गौर करने के लिए कमेटी बनाने का वादा किया था। हालांकि, सरकार ने इस घोषणा के करीब आठ महीने बाद एमएसपी पर कानून बनाने पर गौर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया। पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में इस 26 सदस्यीय समिति में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों, कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अर्थशास्त्रियों के अलावा केंद्र एवं राज्य सरकारों के अधिकारियों को शामिल किया गया था।

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इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा के तीन प्रतिनिधियों को शामिल किए जाने की बात कही गई थी। इस सब के बावजूद किसान संगठनों का आरोप है कि इतने दिनों के बाद भी सरकार ने वादे पूरे नहीं किए हैं सरकार केवल समय बर्बाद कर रही है। उन्हें मांगों को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में संदेह है। जिसके बाद किसान संगठनों ने दिल्ली कूच का ऐलान कर दिया। इस आंदोलन में 200 से ज्यादा किसान यूनियन शामिल होंगे।

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