हरियाणा में बाढ़ और बरसात के बाद यूरिया की मांग 15 फीसदी तक बढ़ गई है। यूरिया की कुल उपलब्धता 950898 एमटी में से 815232 एमटी और डीएपी की कुल उपलब्धता 282917 एमटी में से 165923 एमटी सेल हो चुका है। इस समय सरकार के पास यूरिया का 135666 और डीएपी का 116994 एमटी स्टॉक ही उपलब्ध है। एक अनुमान के मुताबिक जुलाई और अगस्त माह में ही यूरिया और डीएपी की अधिक खपत रहती है।
सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे खाद का कम से कम मात्रा में इस्तेमाल करें और खाद का स्टॉक न करें। इधर किसानों का कहना है कि खाद की ब्लैक हो रही है। उन्हें खाद के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बार बरसात की वजह से फसलों में खाद की ज्यादा जरूरत पड़ रही है, इस वजह से खाद की मांग भी बढ़ रही है।
इस बार धान सीजन को देखते हुए हरियाणा सरकार ने केंद्र से डेढ़ लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त खाद की मांग की थी। हरियाणा में औसतन रबी और खरीफ के सीजन में 09 लाख मीट्रिक टन खाद की खपत होती है।
नई व्यवस्था की शुरूआत रबी फसल के सीजन में की जाएगी
विभाग को आशंका थी कि यमुनानगर में प्लाईवुड उद्योग अधिक हैं और किसानों के नाम पर खाद खरीदकर इसे उद्योगों में प्रयोग किया जाता है, इसलिए यमुनानगर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत किसानों को खाद लेने के लिए पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया। इस नई व्यवस्था की शुरूआत रबी फसल के सीजन में की जाएगी। किसानों से सीजन से पहले ही मांग ली जाएगी और उस हिसाब से खाद की आपूर्ति की जाएगी।
जिलों से खाद की भी होती है तस्करी
यमुनानगर के अलावा यूपी, राजस्थान और पंजाब के साथ लगते जिलों से खाद की तस्करी भी होती है और खाद दूसरे प्रदेशों में जाता है। हरियाणा में खाद की कोई कमी न रहे, इसलिए पहले ही सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए थे। इस समय भी सरकार के पास खाद उपलब्ध है। पोर्टल पर मांग के अनुसार ही किसानों को खाद मुहैया करवाई जा रही है। प्रदेश की सीमाओं से लगते जिलों में भी खाद की तस्करी रोकने के लिए विशेष निगरानी की जा रही है।