Haryana के पूर्व सहकारिता मंत्री और दो बार विधायक रहे सतपाल सांगवान का निधन हो गया। वह लिवर कैंसर के मरीज थे और कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्होंने सोमवार तड़के 2 बजकर 45 मिनट पर गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली।
अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार:
सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे उनका पार्थिव शरीर चरखी दादरी के लोहारू रोड स्थित उनके निवास स्थान पर पहुंचा। यहां परिजनों और समर्थकों ने उनका अंतिम दर्शन किया। इसके बाद, उनका अंतिम संस्कार दादरी जिले के उनके पैतृक गांव चंदेनी में किया जाएगा।

परिवारिक जानकारी:
सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान दादरी से भाजपा विधायक हैं, और उनकी पौत्री नव्या सांगवान सेना में लेफ्टिनेंट हैं। सतपाल सांगवान की बेटी उषा कादयान का हाल ही में निधन हो गया था, जिसके बाद उनकी तबीयत और बिगड़ने लगी।

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने की मुलाकात:
पूर्व मंत्री की बीमार होने की सूचना मिलने के बाद, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी मेदांता अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने सतपाल सांगवान से मुलाकात की और उनका हाल-चाल जाना। इस दौरान उनके साथ कैबिनेट मंत्री राव नरवीर सिंह और गुरुग्राम भाजपा जिलाध्यक्ष कमल यादव भी मौजूद थे।
बेटी के निधन के बाद स्वास्थ्य में गिरावट:
सतपाल सांगवान की बेटी उषा कादयान का कुछ दिन पहले निधन हुआ था, जिससे वह काफी दुखी हो गए थे और उनकी हालत बिगड़ने लगी थी। इस दौरान उनके विधायक बेटे सुनील सांगवान ने उनका इलाज पूरी कोशिश से कराया और वह एक हफ्ते तक अपने पिता के साथ गुरुग्राम में रहे। हालांकि, लिवर कैंसर के फैलने और उम्र अधिक होने के कारण उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ।
राजनीतिक यात्रा:
सतपाल सांगवान ने चरखी दादरी विधानसभा से 6 बार विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें से उन्हें 2 बार जीत मिली। पहली बार वह 1996 में हरियाणा विकास पार्टी से विधायक बने थे, और दूसरी बार 2009 में हजकां टिकट पर विधायक बने थे। बाद में हजकां का कांग्रेस में विलय होने पर उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में सहकारिता मंत्री के रूप में काम किया।
भाजपा में शामिल होना:

2024 में, सतपाल सांगवान ने भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया। 19 अप्रैल 2024 को सोनीपत में आयोजित एक समारोह में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि वह अपने क्षेत्र के प्रति अत्यधिक समर्पित नेता हैं।
भाजपा में शामिल होने के बाद, सतपाल सांगवान ने स्वयं चुनाव नहीं लड़ा, बल्कि अपने बेटे सुनील सांगवान को राजनीति में उतारा। सुनील ने जेल सुपरिटेंडेंट के पद से स्वैच्छिक सेवामुक्ति (VRS) लेकर 2024 विधानसभा चुनाव में भाजपा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।