हरियाणा कांग्रेस में संगठन का

Haryana congress : संगठन का संकट, फिर ‘अग्निपरीक्षा’ की बारी! क्या निकाय चुनाव में दिखेगा कोई करिश्मा? 

हरियाणा राजनीति

Haryana निकाय चुनाव का माहौल गर्म होता जा रहा है। एक ओर भाजपा है, जो अपने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को ‘चुनावी योद्धा’ बनाकर मैदान में उतारने की तैयारी में है। दूसरी ओर कांग्रेस है, जो बिना संगठन के चुनावी किला फतह करने का सपना देख रही है। कांग्रेस का भरोसा नेतृत्व पर है, लेकिन संगठन की गैर-मौजूदगी सवाल खड़े कर रही है।

नेतृत्व पर भरोसा, लेकिन संगठन गायब

पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान का दावा है कि कांग्रेस के पास मजबूत नेतृत्व है, लेकिन यह नेतृत्व किसके सहारे चुनाव लड़ेगा, यह बड़ा सवाल है। पिछले एक दशक से कांग्रेस का संगठन बनता-बिगड़ता रहा है। जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति वर्षों से लंबित हैं। पार्टी में गुटबाजी की खबरें हर दूसरे दिन सामने आ रही हैं। ऐसे में हरियाणा कांग्रेस का संगठन बनाना किसी राजनीतिक चमत्कार से कम नहीं होगा। हालाकि, एक तरफ पार्टी के नेता जल्द ही संगठन बनाने की बात कह रहे हैं। वहीं, खबरें यह भी हैं कि निकाय चुनाव से पहले संगठन बनाने का फैसला होल्ड का दिया गया है, क्योंकि पार्टी किसी भी तरह के नए विवाद का जोखिम चुनाव से पहले नहीं उठाना चाहती।

अभी सिंबल पर भी नहीं हो पाया फैसला

प्रदेश में कुल 34 शहरों में निकाय चुनाव होने हैं, जिनमें 8 नगर निगम, 4 नगर परिषद और 22 नगर पालिका शामिल हैं। यह चुनाव अगले साल फरवरी में होने की संभावना है। अब तक कांग्रेस यह भी तय नहीं कर सकी है कि इस बार चुनाव सिंबल पर लड़ा जाएगा या नहीं। प्रदेशाध्यक्ष् उदयभान का दावा है कि नगर निगम चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ेगी, लेकिन नगर पालिका और नगर परिषद पर अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है। हालाकि, प्रदेशाध्यक्ष के दावों से इतर नगर निगम चुनाव सिंबल पर लड़े जाने की कोई औपचारिक घोषणा अभी नहीं हुई है।

नतीजों के बाद गहरा रहा आंतरिक संकट!

विधानसभा चुनाव के नतीजे संतोषजनक नहीं आने के बाद हरियाणा कांग्रेस में अंदरूनी संकट गहरा रहा है। पार्टी में आपसी फूट और नेताओं की नाराजगी के चलते नेता प्रतिपक्ष का ऐलान भी अभी तक नहीं हो पाया है। निकाय चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है, लेकिन खींचतान कम होने की जगह बढ़ रही है। प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने 18 दिसंबर को निगम चुनाव को लेकर जिला प्रभारियों की सूची जारी की, जिसमें मौजूदा और पूर्व विधायकों के नाम शामिल थे। इसके अगले दिन, पार्टी के प्रभारी दीपक बाबरिया ने उस सूची को लंबित कर दिया, जिससे उदयभान को बड़ा झटका लगा। इस तरह की अंदरूनी खींचतान कांग्रेस के लिए आगामी चुनावों में एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

हार के बाद ‘ब्लेम गेम’ की नई पारी जारी

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के भी कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी का संगठन तो बना नहीं, लेकिन आपसी तकरार ने नया रिकॉर्ड जरूर बना दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्‌डा के खिलाफ पार्टी के अंदर विरोध खुलकर सामने आ चुका है। हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने 10-15 सीटों पर गलत उम्मीदवारों का चयन का मुद्दा उठाते हुए प्रदेशाध्यक्ष उदयभान पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। वहीं, पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह ने तो उदयभान के इस्तीफे की मांग ही कर डाली थी। इतना ही नहीं, कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष और कुमारी सैलजा के बीच बहस भी हुई, तब राहुल गांधी को दखल देना पड़ा था। हुड्‌डा और सैलजा के बीच रस्साकसी कोई नई बात नहीं है।

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