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करनाल: गलत बिजली बिल बना परिवार की बर्बादी का कारण, 1.45 करोड़ का बिजली बिल देख कर मुखिया को आया हार्ट-अटैक

हरियाणा करनाल

➤करनाल में एक परिवार को बिजली निगम ने गलती से 1.45 करोड़ का बिल भेजा, असल में बकाया मात्र 14.51 लाख था।

➤बिजली कनेक्शन काटे जाने से UPSC की तैयारी कर रही बेटी की पढ़ाई और परिवार का कारोबार बंद हो गया।

➤गलत बिल और कुर्की नोटिस के तनाव से परिवार के मुखिया को पड़ा हार्ट अटैक, अब मंत्री अनिल विज से लगाई न्याय की गुहार।

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हरियाणा के करनाल जिले के कुंजपुरा गांव का एक सामान्य परिवार आज बिजली विभाग की एक तकनीकी गलती के चलते सामाजिक, मानसिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा है। यह परिवार पिछले डेढ़ साल से बिजली से वंचित है, बेटी UPSC की तैयारी नहीं कर पा रही, कारोबार बंद हो गया है, घर के मुखिया को दिल का दौरा पड़ चुका है और अब घर की जमीन की कुर्की की नौबत आ चुकी है — और इसका कारण है बिजली निगम की एक मामूली गलती, जिसमें 14.51 लाख का बकाया गलती से 1.45 करोड़ रुपये दिखा दिया गया।

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गलती की शुरुआत और कोर्ट केस की जटिल कहानी

गांव कुंजपुरा निवासी विनोद के अनुसार, यह पूरी घटना वर्ष 2014 से शुरू हुई जब उनकी आरा मशीन पर लगे मीटर में अचानक अधिक रीडिंग दिखाई देने लगी। बिजली विभाग के अधिकारियों — तत्कालीन SDO कृष्णलाल और JE रामसिंह — ने निरीक्षण के बाद कहा कि उनके 20 किलोवाट के कनेक्शन पर 26 किलोवाट लोड दिख रहा है, जो सामान्य नहीं है। इसके चलते विनोद पर 12 हजार रुपये की पेनल्टी लगाई गई और 21 हजार यूनिट की खपत के आधार पर लगभग 1.20 लाख रुपये का बिल बना दिया गया।

विनोद का कहना है कि उन्होंने अधिकारियों से कहा कि नया मीटर लगे एक माह ही हुआ है, ऐसे में इतनी अधिक यूनिट का आना संभव नहीं। इस असहमति पर उन्होंने कोर्ट का सहारा लिया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब तक फैसला नहीं होता, तब तक करंट बिल जमा करवाते रहें।

कनेक्शन का मनमाने तरीके से बदलाव और बढ़ता संकट

मामला कोर्ट में विचाराधीन रहते हुए ही बिजली निगम के अधिकारियों ने बिना सूचना दिए विनोद के एनडीएस (NDS) कनेक्शन को एमएस (MS) कनेक्शन में बदल दिया, जिससे हर महीने 25 से 30 हजार का बिल आने लगा। विनोद ने इसका विरोध किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

साल 2023 के अंत में निगम ने एक साल का एकमुश्त बिल भेजा, जिसकी राशि 1.34 लाख रुपये थी। वे इसे किस्तों में भरते रहे लेकिन भुगतान पूरा नहीं हो पाया, और दिसंबर 2023 में उनका कनेक्शन काट दिया गया

बिजली चोरी का झूठा आरोप और फंसाने की कोशिश

विनोद का आरोप है कि अधिकारियों ने उन्हें बिजली चोरी में फंसाने की साजिश रची। निगम के कर्मचारियों ने कहा कि वह अपने घर में लाइट चालू कर लें, लेकिन उन्होंने मना कर दिया क्योंकि उन्हें कनेक्शन जोड़ना नहीं आता। इसके बावजूद एक तार उनके घर तक खींच दी गई और अगले दिन उन पर बिजली चोरी का केस दर्ज करवा दिया गया।

पड़ोसी भी डरे, बेटी की पढ़ाई बंद

बिजली विभाग के कर्मचारियों ने यहां तक धमकी दी कि अगर पड़ोसी उनके घर को बिजली देंगे, तो उन्हें भी केस में फंसा दिया जाएगा। परिवार को पूरी तरह से बिजली से काट दिया गया, न तो पंखा चल सका, न इनवर्टर, न ही बेटी हेमा का लैपटॉप चार्ज हो सका, जो UPSC की तैयारी कर रही थी। हेमा का कहना है कि पिछले डेढ़ साल से वह पढ़ाई ही नहीं कर पा रही, जिससे उसका सपना अधूरा रह गया।

बिल सुधार की जगह मिला कुर्की नोटिस और हार्ट अटैक

थक-हारकर मई 2025 में विनोद ने पत्नी सरोज के नाम से 1 किलोवाट के घरेलू कनेक्शन के लिए आवेदन किया। लेकिन 30 मई को फाइल रिजेक्ट कर दी गई, यह कहकर कि उन पर 1.45 करोड़ का बकाया है। जून में उन्होंने अपने पिता के नाम से अप्लाई किया, लेकिन फिर वही जवाब मिला।

5 जुलाई को बिजली विभाग ने जमीन की कुर्की का नोटिस जारी कर दिया। अगले ही दिन 6 जुलाई को विनोद को दिल का दौरा पड़ा और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सरोज का कहना है कि परिवार टूट चुका है, अब बस एक छोटा सा घरेलू कनेक्शन चाहिए ताकि वे काम शुरू कर सकें और दो वक्त की रोटी जुटा सकें।

बिजली विभाग का जवाब और तकनीकी भूल की स्वीकारोक्ति

बिजली निगम के SDO का कहना है कि यह बिल दरअसल 2014 के बिजली चोरी केस का परिणाम है। कोर्ट ने बाद में फैसला निगम के पक्ष में दिया, और अब वे 14.51 लाख रुपये की वसूली कर रहे हैं। लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के चलते बकाया बिल में एक अतिरिक्त “0” जुड़ गया और वह 1.45 करोड़ दर्शाया जाने लगा। वे कहते हैं कि अब यह त्रुटि सुधारी जा रही है


न्याय की उम्मीद: मंत्री अनिल विज से मिलेंगे

विनोद का परिवार अब 19 जुलाई को हरियाणा के गृह व ऊर्जा मंत्री अनिल विज से मिलने जा रहा है, ताकि उन्हें इस अत्याचार से राहत मिल सके। उनका कहना है कि उन्हें किसी तरह बिजली मिल जाए ताकि वे दोबारा जीवन पटरी पर ला सकें।


यह सिर्फ एक बिल नहीं था, एक परिवार का सपना था जो उजड़ गया

यह मामला सिर्फ एक ग़लत बिल का नहीं है, यह एक प्रणालीगत संवेदनहीनता की मिसाल है, जहां एक UPSC उम्मीदवार की पढ़ाई, एक मेहनती व्यक्ति का रोज़गार, एक परिवार का भविष्य और स्वास्थ्य — सब कुछ एक डिजिट की गलती में समा गया।