Haryana विधानसभा में पुलिस इंस्पेक्टर की भर्ती मामले पर बड़ा हंगामा हुआ। 2009 में हुई इस भर्ती पर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई। बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार के दौरान भर्ती प्रक्रिया में धांधली हुई थी और इस मामले में कई नेताओं के रिश्तेदारों को नियुक्तियां दी गईं।
क्या हुआ भर्ती में?
2009 में हरियाणा सरकार ने पुलिस इंस्पेक्टर के पदों पर भर्ती की थी। याचिकाकर्ता अमित ने हाईकोर्ट में दावा किया कि उसे भर्ती के दौरान फेल उम्मीदवारों को टॉप पर रखा गया। जबकि वह 145 अंक प्राप्त कर टॉप पर था, लेकिन उसे इंटरव्यू में केवल 7 अंक मिले, जबकि राजनीतिक रसूख वाले उम्मीदवारों को ज्यादा अंक दिए गए। कोर्ट ने भी इस भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी को माना और सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था।
कौन-कौन थे नामांकित?
याचिकाकर्ता ने बताया कि जिन 9 सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों का चयन हुआ, वे सभी प्रमुख नेताओं और उनके रिश्तेदारों थे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा का भतीजा, राज्यपाल के एडीसी के बेटे और कई अन्य राजनीतिक परिवारों के सदस्य शामिल थे।
विधानसभा में हुआ हंगामा:
बीजेपी विधायक सुनील सांगवान ने इस मामले को विधानसभा में उठाया और आरोप लगाया कि भर्ती में भ्रष्टाचार हुआ और राजनीतिक दबाव में नियुक्तियां की गईं। उन्होंने दावा किया कि फेल उम्मीदवारों को टॉप पर रखा गया। इस पर हंगामा बढ़ा और कांग्रेस के विधायकों ने विरोध किया।
सीएम नायब सिंह सैनी का बयान:
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस मामले पर कहा कि हाईकोर्ट ने इस भर्ती को लेकर चिंताएं जताई थीं और कहा था कि युवाओं को न्याय नहीं मिल पाया। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को कोर्ट के आदेशों का पालन करना होगा।
अनिल विज का बयान:
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि यह एक ज्वलंत मुद्दा है और यह गुंडागर्दी का मामला है, जिसमें बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया।
विपक्ष का विरोध:
कांग्रेस विधायक रघुवीर कादियान ने आरोप लगाया कि स्पीकर इस मामले को दबाना चाहते हैं, जबकि विपक्ष ने इस मुद्दे पर जमकर नारेबाजी की।
इस हंगामे के बीच विधानसभा की कार्यवाही में गर्मी बढ़ी और स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को शांत करने की कोशिश की।