हरियाणा के NUH जिले की भावना गोयल ने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) सीजीएल परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की है। उन्होंने पहले प्रयास में ही यह परीक्षा पास की और वित्त मंत्रालय में टैक्स असिस्टेंट के पद पर चयनित हो गईं।
भावना की इस सफलता में उनके माता-पिता का कठिन निर्णय भी शामिल है, जिन्होंने अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए गांव छोड़कर शहर में बसने का फैसला लिया था। अब वह अपने माता-पिता के साथ फरीदाबाद में रहती हैं, लेकिन मेवात (नया नाम नूंह) क्षेत्र से उनका गहरा लगाव आज भी बना हुआ है।
इस सफलता के बाद भावना को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
परिवार के बच्चों ने किया अच्छा प्रदर्शन, दादा हैं प्रेरणास्रोत
भावना के पिता महेश बिछोरिया बताते हैं कि वे मूल रूप से नूंह जिले के गांव बिछौर के निवासी हैं और उनके चार बच्चे हैं। बड़ी बेटी आशी गोयल दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमएमएसी केमेस्ट्री की पढ़ाई कर चुकी हैं, जबकि दूसरी बेटी भावना ने सीजीएल परीक्षा पास की है। तीसरी बेटी कोमल गोयल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमएससी जूलॉजी में टॉप किया है। उनका छोटा बेटा अभी स्कूली शिक्षा ले रहा है।
महेश बिछोरिया ने बताया कि उनके बच्चों के दादा गांव के स्कूल में हेडमास्टर थे और हमेशा अच्छी शिक्षा पर जोर देते थे। इसके कारण ही उन्होंने 20 साल पहले अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए फरीदाबाद में बसने का कठिन निर्णय लिया।
परिवार का व्यवसाय और शिक्षा की प्राथमिकता
महेश बिछोरिया बताते हैं कि उनका राखी बनाने का व्यवसाय है, जबकि उनकी पत्नी घर के काम संभालती हैं। परिवार के दोनों सदस्य अपनी मेहनत से बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने देते थे। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि बच्चों को केवल पढ़ाई के लिए समय मिले।
पिता का मानना है- शिक्षा ही बदलाव की कुंजी
भावना के पिता महेश बिछोरिया का मानना है कि उन्होंने अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए गांव छोड़कर शहर में बसने का निर्णय लिया। उनके अनुसार, भावना बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थीं और प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना देखती थीं। उनका मानना है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से किसी भी बड़ा लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
भावना का सपना और संदेश
भावना का मानना है कि गांवों की बेटियां भी अगर सही अवसर और मार्गदर्शन पाएं तो वे किसी से पीछे नहीं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया। भावना की सफलता मेवात की बेटियों के लिए एक प्रेरणा है और यह साबित करती है कि अगर हौसला और मेहनत हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।
भावना का आगे का लक्ष्य
टैक्स असिस्टेंट के रूप में चयन के बाद भी भावना का सफर यहीं नहीं रुकने वाला। उनका सपना प्रशासनिक सेवा में अधिकारी बनने का है, और इसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रही हैं। उनकी यह सफलता मेवात की बेटियों के लिए यह संदेश देती है कि मेहनत और लगन से कोई भी कठिन लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।