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दफ्तरों में होगा हिंदी में काम, अब बढ़ेगा अपनी मातृभाषा का मान

झज्जर

हिंदी हमारी मातृभाषा है। हर साल देश में हिंदी को बढ़ावा देने की वकालत होती है। सरकारी दफ्तरों में हिंदी में काम करने की बातें होती हैं। लेकिन अभी भी हिंदी को अपेक्षा के अनुसार बढ़ावा नहीं मिल रहा। शिक्षा विद और प्रबुद्धजनों का कहना है कि भाषा हमें सुदृढ़ और स्वाभिमानी बनाती है।

हिंदी को जितना बढावा देंगें मातृभाषा का मान और अधिक बढ़ेगा। सरकारों को चाहिए की हिंदी भाषा को 12वीं कक्षा तक अनिवार्य विषय के रूप में ही लिया जाना चाहिए, ताकि प्रत्येक विद्यार्थी को हिंदी के प्रति लगाव हो और उसका ज्ञानवर्धन हो।

हिंदी बन चुकी है अंतरराष्ट्रीय भाषा

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हिंदी अब अंतरराष्ट्रीय भाषा बन चुकी है। तकनीक की दृष्टि से भी यह अनुकूल भाषा है। हिंदी में ज्ञान का अपार भंडार उपलब्ध है। हिंदी में लिखना और बोलना बहुत सहज है क्योंकि यह हमारी भावनाओं से जुड़ी है। अपनी मातृभाषा का सम्मान करना हम सबका कर्त्तव्य है। हिंदी को वास्तविक सम्मान तभी मिल सकता है, जब हम सब हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लें। भारत को राष्ट्रीयता के सूत्र में पिरोने के लिए हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

विदेशों में हो रहा हिंदी का अध्यन- डॉ. दलबीर सिंह, प्राचार्य

भाषा हमें सुदृढ़ और स्वाभिमानी बनाती है। भाषा के माध्यम से ही हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। हिंदी ही हमारे देश को सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और भौगोलिक दृष्टि से जोड़ती है। यह देश को एक सूत्र में जोड़ने वाली भाषा है। विदेशों में भी इसका अध्ययन अध्यापन हो रहा है। सशक्त राष्ट्रीयता के निर्माण के लिए मातृभाषा का मजबूत होना जरूरी है।

क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस -डॉ. सुरजीत सिंह, हिंदी प्राध्यापक

हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा, राजभाषा, मातृभाषा का दर्जा मिल चुका है। आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम विदेशी भाषा से चिपके हैं। अपने ही देश में स्व-भाषा इतनी उपेक्षित क्यों लग रही है। क्यों इस दिवस मनाया जा रहा है। क्योंकि हिंदी दिवस के माध्यम से अपनी भाषा को अपने देशवासियों को अपनाने के लिए समझाया जा सकता है।