Honoring Vinesh Phogat

बांगर की धरती पर हुआ कुश्ती खिलाड़ी Vinesh Phogat का सम्मान

जींद

बांगर की धरती पर कुश्ती खिलाड़ी Vinesh Phogat का सम्मान समारोह खटकड़ टोल कमेटी द्वारा आयोजित किया गया। 105 गांवों के अलावा किसान संगठनों, खापों के अलावा अन्य संगठनों द्वारा विनेश को सम्मानित किया। टोल कमेटी और युवा कमेटी द्वारा विनेश फोगाट को शक्ति का प्रतीक गदा देकर सम्मानित किया।

वहीं खटकड़ खाप ने चांदी का मुकुट पहनाकर विनेश का स्वागत किया। समारोह को संबोधित करते हुए विनेश फोगाट ने कहा कि जिस तरह से बेटी अपने माता-पिता का कर्ज नहीं चुका सकती है ऐसे ही मैं आपका कर्ज नहीं उतार पाऊंगी। किसान आंदोलन में जब हमारे किसान शहीद हुए थे बहुत दुख होता था और विडियो देख कर बहुत बार रोई भी।

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किसानों को किया गया बहुत परेशान

किसान आंदोलन में किसानों को बहुत परेशान किया गया। जितना मेरे से हो सका मैंने सहयोग किया। जब हम मुसीबत में थे दिल्ली धरना दें रहें थे तो आप मेरी ताकत बन कर मेरे साथ नजर आए। विनेश फोगाट ने जींद की तारीफ करते हुए कहा कि जींद की धरती में बहुत ताकत, हिम्मत है। यहां के लोग लड़ाके है। यहां से ओलिपिंक में मेडल जीतने वाले खिलाड़ी निकल सकते हैं। मैंने जो कमी छोड़ी है वो जींद के युवा पूरा करें।

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कुछ भी कर सकती हूं

विनेश ने कहा मुझे कुश्ती आती है कुश्ती को लेकर जो मेरा सहयोग होगा वो मैं करूंगी। साथ ही विनेश फोगाट ने कहा कि मुझसे आप लोगों की उम्मीद बढ़ गई है। जो आप कहेंगे वो ही मैं करूंगी। जहां तक कुश्ती वो मैं कर पाऊंगी या नहीं पता नहीं, लेकिन मैं अपनी जिद्द पर आ गई तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ। इस तरह के आयोजन से खिलाड़ियों में हौंसला बढ़ेगा। मुझे अब पहचान हो गई है कौन मेरे अपने है। ओलिपिंक में जब ये सब कुछ हो रहा था तो मैं बहुत दुखी थी। फाइनल में पहुंचने के बाद जो हुआ वो सबको पता है।

मान-सम्मान पाना बड़ी उपलब्धि

जब अपने देश में आई तो आप सबका प्यार देखकर लगा कि वो मेडल कुछ नहीं था, जो आपके प्यार, मान-सम्मान ने दिया है। पत्रकार वार्ता में WFI अध्यक्ष संजय सिंह द्वारा विनेश फोगाट के राजनीति मंच सांझा न करने को लेकर दिए गए बयान पर पूछे सवाल पर विनेश फोगाट बोली संजय सिंह को मैं नहीं जानती कौन है।

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साथ ही विनेश फोगाट ने कहा कि खिलाड़ी के नाते मेरे लिए मेडल जरूरी होता लेकिन हम मेडल इसलिए जीतते थे कि लोग हमें मान-सम्मान दे, लेकिन बिना मेडल के मान-सम्मान पाना बड़ी उपलब्धि मानती हूँ मैं अपने आप के लिए। मेरे ऊपर जिम्मेदारी बढ़ गई है। मैं चाहे कुश्ती में जाऊ या नहीं, लेकिन मैं अकादमी खोल रही हूँ।

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