हरियाणा के कैथल में जिला परिषद चेयरमैन Deepak Malik को अविश्वास प्रस्ताव के बाद उनके पद से हटा दिया गया। करीब तीन महीने पहले 15 पार्षदों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था, जिसका परिणाम अब घोषित किया गया है।
इस वोटिंग में जिले के कुल 21 पार्षदों में से 17 ने हिस्सा लिया और सभी ने दीपक मलिक के खिलाफ वोट किया। चेयरमैन समेत तीन पार्षद वोटिंग में शामिल नहीं हुए, जबकि एक पार्षद को भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था, जिसके कारण वह वोट नहीं दे सके।
कानूनी प्रक्रिया
दीपक मलिक ने इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी, जहां कोर्ट ने विधानसभा चुनाव के बीच रिजल्ट पर स्टे लगा दिया था। हालांकि, विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद रिजल्ट घोषित करने का निर्देश दिया गया। आज जिला सभागार में इस अविश्वास प्रस्ताव का परिणाम आधिकारिक रूप से जारी किया गया।
गठबंधन टूटने के बाद की राजनीतिक स्थिति
दीपक मलिक जननायक जनता पार्टी (JJP) समर्थित थे। हरियाणा सरकार में भाजपा और JJP के गठबंधन के टूटने के बाद से ही भाजपा समर्थित पार्षद मलिक को हटाने के प्रयास में जुटे हुए थे। जून 2024 में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद, भाजपा समर्थित 15 पार्षदों ने दीपक मलिक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाने की योजना बनाई थी।
अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया
12 जुलाई को 15 पार्षदों ने DC प्रशांत पंवार को अविश्वास प्रस्ताव का शपथ पत्र सौंपा। इसके बाद DC ने सभी पार्षदों और चेयरमैन को वोटिंग के लिए नोटिस भेजा। चेयरमैन दीपक मलिक ने इसे कोर्ट में चुनौती देते हुए आरोप लगाया कि अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं हुआ। उनका दावा था कि उन्हें तैयारी के लिए सात दिनों का समय नहीं दिया गया। हालांकि, कोर्ट ने वोटिंग को रोकने से इनकार कर दिया था।
अंतिम परिणाम
19 जुलाई को वोटिंग हुई जिसमें 20 में से 17 पार्षदों ने हिस्सा लिया। चेयरमैन दीपक मलिक, वार्ड 12 की पार्षद नेहा तंवर और वार्ड 18 के राकेश खानपुर वोटिंग में शामिल नहीं हुए। वोटिंग के दौरान जिला परिषद CEO जया श्रद्धा और DC प्रशांत पंवार उपस्थित थे।