आज की हड़ताल के धरने की अध्यक्षता जिला प्रधान कविता ने की ने की ओर संचालन सुदेश ने किया। प्रदेश भर की आशा वर्कर 8 अगस्त से हड़ताल पर हैं। हड़ताली आशाओं को संबोधित करते हुए सीटू के जिला के जिला कैशियर ओ पी माटा, सचिव, जगपाल राणा, आशा वर्कर्स यूनियन की जिला प्रधान कविता,सचिव मौजूद रहे।
आशा वर्करों ने ऑनलाइन काम का पूर्ण रूप से कर रखा बहिस्कार
सुदेश जगपाल राणा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग जनहित का हवाला देकर आशा वर्कर्स को बिना मानदेय दिए ऑनलाइन काम करने के लिए बाधित कर रहा हैं। लेकिन आशा वर्करों ने ऑनलाइन काम का पूर्ण रूप से बहिस्कार कर रखा है।
दूसरी तरफ हरियाणा सरकार और स्वास्थ्य विभाग पिछले 17 साल से स्वास्थ्य विभाग के अंदर ही काम करने वाली आशा वर्कर्स के स्वास्थ्य की गारंटी नहीं कर पाया है। यह अपने आप में ही जनहित कार्यों की सरकार की विकास दर को दर्शाता है।
3 सालों से मांगों को लेकर खटखटा रही प्रशासन का दरवाजा
स्वास्थ्य विभाग और सरकार द्वारा चलाई जा रही जनहित कार्य केवल दिखावा बनकर रह गई है। पिछले 3 वर्ष से आशा वर्कर अपनी मांगों और समस्याओं को लेकर बार-बार स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों और सरकार को पत्र लिख रही है। परंतु सरकार और स्वास्थ्य विभाग आशा वर्कर्स की समस्याओं का समाधान किए बिना ही प्रदेश की 20000 आशा वर्करो को डराने धमकाने का प्रयास कर रहे हैं।
कोरोना माहमारी में फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में काम करने वाली आशा वर्कर्स को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा ग्लोबल हेल्थ लीडर्स के अवार्ड से सम्मानित किया गया है जिन आशा वर्कर्स को पूरी दुनिया में सम्मान मिला है।
राज्य सरकार नहीं कर रही वेतन में बढ़ोतरी
स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी और जिलों के अधिकारी एक बार अपने जिले के स्वास्थ्य विभाग की हालात पर नजर डालें और उनमें सुधार करें। ताकि जनता को बेहतर सुविधाएं दी जा सकेंगे। आशा वर्कर्स को डराने धमकाने का मतलब आशा वर्कर्स को पूरे प्रदेश में आंदोलन के लिए मजबूर करना है। आज जिन परिस्थितियों में आशा वर्कर्स कार्य कर रही है वह परिस्थितियां बेहद गंभीर है।
उन्होनें आगे कहा की पिछले 5 वर्षों में आशाओं के मानदेय और प्रोत्साहन राशियों में राज्य सरकार ने कोई भी बढ़ोतरी नहीं की है। पिछले 12 वर्ष से केंद्र सरकार ने भी प्रोत्साहन राशियों में कोई इजाफा नहीं किया है जिस कारण आशा वर्कों को मजबूरी में हड़ताल करनी पड़ रही है।