महेंद्रगढ़ के Narnaul में आत्महत्या करने वाली 21 वर्षीय अंजली एक होशियार छात्रा थी, जो एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) की तैयारी कर रही थी। उसका सपना था कि वह भारतीय सेना में भर्ती हो और देश की सेवा करे। इसी कारण वह अटेली कस्बा में कोचिंग लेने और लाइब्रेरी में अध्ययन करने जाती थी।
ग्रामीणों के मुताबिक, अंजली पढ़ाई में बहुत इंटेलिजेंट थी, लेकिन पढ़ाई के दबाव और तनाव ने उसे इस कदर प्रभावित किया कि उसने यह कदम उठाया। अंजली की मौत के बाद गांव वाले इस विश्वास से बाहर हैं कि इतनी मेधावी लड़की ऐसा कदम उठा सकती है। परिवार और दोस्त इस दुःख को मान नहीं पा रहे हैं, क्योंकि वह एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रही थी।
जानकारी अनुसार, शहर के बस अड्डे पर बीते कल दोपहर बाद गांव तुर्कियावास की 21 साल की अंजली ने सल्फॉस खाकर आत्महत्या कर ली थी। जिस पेड़ के नीचे उसने गोली खाई थी। वहां पर सल्फॉस की गोली का एक टुकड़ा भी पुलिस को मिला था।
अंजली की मौत के बाद न केवल परिजन सुबद्ध हैं, बल्कि ग्रामीणों को भी नहीं लग रहा कि अंजली इस तरह आत्महत्या करेगी। क्योंकि अंजली का परिवार काफी संपन्न है। वहीं वह भी पढ़ाई में काफी होशियार लड़की थी।
अंजली के 86 प्रतिशत अंक और सेना में जाने का सपना, फिर भी पढ़ाई के तनाव में आत्महत्या
महेंद्रगढ़ के नारनौल में आत्महत्या करने वाली 21 वर्षीय अंजली एक होशियार और महत्वाकांक्षी छात्रा थी। अंजली ने अपने दसवीं कक्षा में 86 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे, वहीं बारहवीं कक्षा में भी 85 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। इसके बाद उसने यदुवंशी डिग्री कॉलेज से केमिस्ट्री विषय में बीएससी ऑनर्स की डिग्री हासिल की।
अंजली का सपना था कि वह एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) की परीक्षा पास करके भारतीय सेना में शामिल हो, ताकि वह देश की सेवा कर सके। इसके लिए वह अटेली के एक कोचिंग सेंटर में नियमित रूप से कोचिंग ले रही थी और साथ ही वहां की लाइब्रेरी में जाकर भी पढ़ाई करती थी।
वहीं, अंजली के गांववाले और परिवार के सदस्य भी यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि एक इतनी होशियार और लक्ष्यों से भरी हुई लड़की ऐसा कदम उठा सकती है। अंजली का आत्महत्या करना उनके लिए एक बड़ा सदमा है, क्योंकि वह एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रही थी।
अंजली के निधन के बाद उसके परिवार और ग्रामीणों में शोक की लहर दौड़ गई है, और अब पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।