हरियाणा के किसानों को गेहूं की फसल का भुगतान न मिलने से गहरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सिरसा से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा किए गए वादे खोखले साबित हो रहे हैं और किसानों को अपनी मेहनत की कमाई के लिए हफ्तों इंतजार करना पड़ रहा है।
सैलजा ने कहा कि सरकार ने 72 घंटे के भीतर भुगतान का वादा किया था, लेकिन अब तक 873 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अटकी हुई है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। अनाज मंडियों में भी हालात बिगड़ते जा रहे है।
ट्रांसपोर्ट से लेकर श्रमिक और प्रबंधन तक हर स्तर पर अव्यवस्था फैली हुई है। किसानों को न केवल फसल बेचने के बाद भुगतान के लिए भटकना पड़ रहा है, बल्कि मंडियों में पर्याप्त सुविधाओं का भी अभाव है।
सैलजा ने चेताया कि गेहूं खरीद प्रक्रिया का आधा समय बीत चुका है, लेकिन सरकार किसानों से किए अपने वादों को निभाने में विफल रही है।
केंद्रीय खाद्यान्न खरीद पोर्टल के आंकड़ों के हवाले से सैलजा ने बताया कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित 9 राज्यों में गेहूं की खरीद जारी है। इन राज्यों के 291 जिलों में किसानों से गेहूं खरीदा जा रहा है।
अब तक करीब 33 लाख किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है और 127 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी है। बावजूद इसके, किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम समय पर नहीं मिल पा रहा, जिससे खेती-किसानी पर बड़ा संकट मंडरा रहा है।