अगले वर्ष होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा सरकार एक नया कानून बना रही है। जिसके मुताबिक वो गांव जहां 20 प्रतिशत से कम हिंदू रहेंगे, उन गांवों के मंदिरों की देखभाल सरकार की जिम्मेदारी बनेगी। जिसके लिए जिले में एक बोर्ड बनेगा और जिम्मेदारी जिला कलेक्टर (डीसी) को दी जाएगी।
बता दें कि यह विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। राज्य में कई गांव हैं जैसे नूंह, पानीपत, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद, अंबाला, करनाल, हिसार, जींद, पंचकूला और सिरसा जहां सिख और मुस्लिम आबादी है और हिंदू कम हैं। यह नया नियम सीधे तौर पर इन गांवों पर असर डाल सकता है। हिंदू कम होने से मंदिरों की हालत ठीक नहीं है। सूत्रों के मुताबिक राज्य के गृह विभाग ने इस विधेयक को लेकर तैयारी की है। उनका कहना है कि जहां गांवों में हिंदू आबादी कम है या फिर वहां के लोग वहां से चले गए हैं, वहां के मंदिरों की देखभाल सही ढंग से नहीं हो रही। खासकर नूंह जैसे जिले में मंदिरों की स्थिति बहुत खराब है।

नए कानून के अनुसार इन जिलों में मंदिरों के लिए एक बोर्ड बनेगा। जिसका मुखिया जिला कलेक्टर डीसी होंगे। उसमें स्थानीय लोगों को भी शामिल किया जाएगा। सरकार पहले मंदिरों की मरम्मत कराएगी और फिर पूजा का भी इंतजाम करेगी। लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि मामले में ध्रुवीकरण जैसे सवाल नहीं होंगे। सरकार ने इसके लिए लीगल एडवाइज भी ली है। जिसमें बताया गया है कि सिखों की धार्मिक जगहों की देखभाल के लिए हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एचएसजीपीसी) है। मुस्लिम धर्मस्थलों की देखभाल वक्फ बोर्ड करता है। ऐसे में हिंदुओं के लिए भी इसी तरह की संस्था बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।